क्वर सटोरी
हिंसा से पीड़ित लोगों को तृणमदूल नेता के रूप में ममता बनजमी जब राजधानी दिलली लेकर आ्यी थी, उस सम्य ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वासतव में कोई नेता जन सरोकार को लेकर मचिंतित है । कुछ वरषों बाद ममता को सत्ा मिल भी ग्यी, पर उनके शासन के मवर्य में जैसा सोचि कर जनता ने उममीद लगा्यी थी, वैसा जमीनी सतर पर नहीं हो पा्या । आम जनता हिंसा, उतपीड़न, तुन््टकरण और भ्रष्टाचार के जाल में फंसकर असहा्य हो कर रह गई । राज्य में वामपंथी सरकार के 34 वर्ष लंबे का्यताकाल के दौरान हिंसा का वैसा तंरि नहीं था, जैसा ममता के का्यताकाल में देखा जा रहा है । गुंडातंरि पदूरे राज्य में हावी है और उसने भ्य का माहौल बना रखा है । गुंडा तंरि के संरक्ण में तृणमदूल नेता अपने राजनीतिक विरोमध्यों खासतौर पर भाजपा नेताओं और का्यताकर्ताओं के विरुद्ध हिंसक घटनाओं को लगातार अंजाम मद्या जा रहा है ।
मुस्लिम तदुनष्टकरण की राजनीति
राज्य में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा और उतपीड़न की रणनीति पर काम कर रही ममता सरकार के का्यताकाल के दौरान मुस्लिम तुन््टकरण की प्रवृमत् अब खतरनाक सतर पर पहुंचि चिुकी है । हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा में समक्य मुस्लिम भीड़ तंरि में अवैध रूप से भारत में घुसकर रह रहे बंगलादेशी, रोहिंग्या नागरिक शामिल हैं, जो राज्य के हर हिससे में अपनी पैठ बना चिुके हैं । ममता सरकार का पदूरा समर्थन इन अवैध घुसपैमठ्यों को मिल रहा है । राज्य में महत्ददू हितों के मदूल्यों पर मुस्लिमों की संख्या को बढ़ावा देने की राजनीति से हिन्दुओं के सामने असहा्य होकर जीवन्यापन की विवशता नगरों से लेकर ग्ामीण क्ेरि में देखी जा सकती है ।
दलितों का उत्पीड़न और भयादोहन
पन््चिम बंगाल में हो रही हिंसा दलित समाज
के लिए काल बन चिुकी है । ्यह स्थिति नई नहीं है । सवतंरिता के पहले से भी राज्य में हिंसा और उतपीड़न करके दलितों, वंमचितों और पिछड़े वर्ग के बीचि भ्य पैदा करने और फिर भ्यादोहन करके अवैध मतांतरण कराकर अपनी संख्या बढ़ाने की कुचिे्टा लगातार जारी है । पाकिसतान बनने के बाद पूर्वी पाकिसतान( वर्तमान बांगलादेश) में पन््चिम बंगाल का जो भदू-भाग टूट कर ग्या, वहां हिन्दुओं की जनसंख्या का प्रतिशत 32 था, जो घटकर अब लगभग सात प्रतिशत रह ग्या है । महत्ददू जनसंख्या में सबसे बड़ी हिससेदारी दलित एवं पिछड़े वर्ग की थी, जिसे ्या तो मार मद्या ग्या ्या फिर हिंसा का शिकार बनाकर उनका जबरन मतांतरण करा मद्या ग्या । कुछ ऐसी ही स्थिति वर्तमान में पन््चिम बंगाल की भी है । हिन्दुओं की घटती जनसंख्या का नकारातमक प्रभाव राज्य की जटिल होती राजनीतिक-सामाजिक न्स्मत्यों के बीचि जारी हिंसा के रूप में देखा जा सकता है । मुस्लिम आरोमप्यों की संलिपतता होने के बाद भी प्रा्यः प्रशासन उनके विरुद्ध सखत कदम उठाने से बचिता है । मुख्यमंरिी बनजमी के पास इन प्रश्नों का उत्र शा्यद ही होगा कि कि
हिन्दुओं के विरुद्ध मुस्लिम समुदा्य सुमन्योजित रूप से हिंसक घटनाओं को अंजाम क्यों और कैसे दे रहा है? क्या उतपीड़न के पीछे कोई
राजनीतिक सवा्ता छिपा हुआ है? ्या फिर हिन्दुओं को उतपीमड़त और डरा-धमका कर धर्मान्तरण के लिए बाध्य मक्या जा रहा है?
22 ebZ 2025