बाबासाहब के आदशशों को आत्मसात कर प्रगतिशील भारत के गनममाण में योगदान करें युवा: डा. वीरेंद्र कु मार
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ष्ट्रीय अनुसदूमचित जाति आ्योग( एनसीएससी) ने राजधानी दिलली में भारत रत्न डा. बी. आर. आंबेडकर की 135वीं ज्यंती पर ' भारती्य संविधान की 75 वरषों की ्यारिा ' मवर्य पर एक समारोह का आ्योजन करके डा. आंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । समारोह की अध्यक्ता केंद्रीय सामाजिक त््या्य एवं अधिकारिता मंरिी डा. वीरेंद् कुमार ने की, जबकि संसदी्य का्यता एवं विधि एवं त््या्य राज्य मंरिी अर्जुन राम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । समारोह में एनसीएससी के अध्यक् किशोर मकवाना, आ्योग के सदस्य लव कुश कुमार और वड्ापलली रामचिंदर भी शामिल हुए ।
गत 14 अप्रैल को आ्योजित समारोह में केंद्रीय मंरिी डा. वीरेंद् कुमार ने भारती्य संविधान के मुख्य निर्माता होने के कारण समुदा्य के कल्याण के लिए बाबासाहब आंबेडकर के ्योगदान को सामने रखा । वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सामाजिक समानता, सवतंरिता और बंधुतव के मंरिों को विसतार से दोहराते हुए उन्होंने कहा कि डा. आंबेडकर ने अपार व्यक्तिगत क्टों और सामाजिक अपमान के बाद भी सभी के लिए त््या्य, सममान और समानता के लिए लड़ने के उनके संकलप को और मजबदूत मक्या । डा. वीरेंद् कुमार ने ्युवाओं से बाबासाहब के आदशषों को आतमसात करने और एक समावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण में ्योगदान देने का आह्ान मक्या ।
भारती्य संविधान की 75 साल की ्यारिा के उपलक््य में आ्योजित समारोह की केंद्रीय मंरिी अर्जुन राम मेघवाल ने भारती्य संविधान के
निर्माता के रूप में डा. आंबेडकर की भदूमिका की सराहना की और जीवन के सभी क्ेरिों में अनुसदूमचित जामत्यों के लिए कानदूनी सशक्तिकरण और प्रतिनिधितव के महतव पर जोर मद्या । देश के ्युवाओं को प्रेरित करने के लिए उन्होंने डा. आंबेडकर के जीवन से मिली पीड़ा और सीख को बता्या । उन्होंने कहा कि समानता डा. आंबेडकर के दृन््टकोण की आधारशिला थी और सच्ा रा्ट्र निर्माण तभी संभव है, जब प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार, अवसर और सममान मिले ।
समारोह में अध्यक्( एनसीएससी) किशोर मकवाना ने हाशिए पर पड़े समुदा्यों के बीचि शिक्ा, आतम-सममान और चिरररि निर्माण में डा. आंबेडकर के स्थायी ्योगदान पर प्रकाश डाला । उन्होंने अनुसदूमचित जामत्यों के संवैधानिक
अधिकारों की रक्ा करने और नीति निर्माण, जागरूकता और समक्य निगरानी के माध्यम से उनके समग् विकास को सुमनन््चित करने के एनसीएससी के संकलप की पुन््ट की । जबकि सदस्य( एनसीएससी) लव कुश कुमार ने त््या्यपदूणता और समतामदूलक समाज की नींव रखने में डा. आंबेडकर द्ारा निभाई गई कांमतकारी भदूमिका पर जोर मद्या । सदस्य वड्ापलली रामचिंदर ने जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ डा. आंबेडकर के अथक संघर्ष और संविधान में सामाजिक त््या्य को स्ामपत करने के उनके प्र्यासों पर मवचिार मक्या ।
इससे पहले अपने सवागत भाषण में समचिव( एनसीएससी) जी. श्रीनिवास ने शिका्यतों के निपटान, पारदर्शिता और ्यामचिकाकर्ताओं को निरंतर प्रमतमक्या / अद्तन में सुधार के लिए
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