fjiksVZ
राजीव सचान
सरकारों को समाज सुधार के लिए सक्रिय होना चाहिए पर
निःसनदेह
समाज की गलती के लिए उनहें दोष देने से बात नहीं बनेगी । यह एक तथय है कि छेड़छ्ड़ और दुषकमना के जय्दातर मामलों के पीछे पड़ोसी परिचित रिशिेदार या गांव-समाज के लोग ही जिममेदार होते हैं ।
यह देखना दुखद है कि दलितों के साथ दुवयनािहार की वैसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं , जैसी थम जानी चाहिए । बतौर उदाहरण बीते दिनों राजसथ्र के जालौर जिले में एक दलित दंपती को मंदिर में पूजा करने से रोक दिया गया । चूंकि इस घटना का वीडियो वायरल हो गया तो पुलिस हरकत में आई और पुजारी को गिर्ि्र कर लिया गया । इस घटना को अपवाद के तौर पर नहीं देखा जा सकता , कयोंकि ऐसी घटनाएं देश के विभिन्न हिससों में रह-रहकर होती ही रहती हैं । वे कभी सुर्खियां बनती हैं और कभी नहीं । कभी दलित दूलहे को घोड़ी पर नहीं चढ़रे दिया जाता तो कभी उसकी बारात नहीं निकलने दी जाती ।
सामाजिक समस्ा का राजनीतिकरण
बीते सपि्ह ही यूपी के बुलंदशहर जिले के एक गांव में दलित दूलहे की घुड़चढ़ी के वकि पुलिस को उपससथि रहना पड़् और वह भी तब , जब दूलह् खुद सीआरपीएफ में सिपाही है । उसने आशंका जताई थी कि उसे घुड़चढ़ी से रोका जा सकता है । इस आशंका का कारण अतीत में हुई
समाज का दोष सरकारों पर ... सजगता से सुलझेगी समस्ा
संकीर्ण सोच से मुचति पाना आवश्यक
ऐसी ही एक घटना है , जिसमें एक वयसकि की जान चली गई थी । संयोग से पुलिस ने गंभीरता और ततपरता दिखाई और सब कुछ शांति से निपट गया । सदैव ऐसा नहीं होता , कयोंकि कभी-कभार पुलिस शिकायत को गंभीरता से नहीं लेती या फिर उसके पास मामला पहुंचने के पहले ही अनहोनी हो जाती है । पुलिस के पास मामला जाए और वह कुछ न करे तो उसकी निंदा समझ में आती है , लेकिन आम तौर पर
दलितों के साथ बुरे वयिहार की जिन घटनाओं से पुलिस प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं होता और यह भी शिकायत नहीं होती कि उसने समय पर सही कार्रवाई नहीं की , उनमें भी उसे और संबंधित राजय की सरकार को खरी-खोटी सुनाई जाती है । ऐसा करते हुए यह भी देखा जाता है कि राजय विशेष में किस दल की सरकार है । इसे वे भी देखते हैं , जो सियं को दलित हितों के लिए सदैव समर्पित और सक्रिय दिखाते हैं ।
46 ebZ 2023