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दलित एवं पिछड़े वर्ग की महिलराएं भी पीछे नहीं रही स्वतंरितरा संग्राम में
ऊदा देवी पासी
ऊदा देवी पासी , जिनहें अंग्ेज अफसरों द््रा ' बलैक टाइग्ेस ' की संज्् दी गई , लखनऊ के पास उजिरियाँव गांव में पासी जाति से समबनध रखती थीं । ऊदा अनय्य और असपृशयि् के प्रतिरोध में अपने जुझारू सिभाव और प्रतिरोध के लिए जानी जाती हैं । ऊदा के पति मकक् पासी अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पलटन में सैनिक हुआ करते थे । अंग्ेजों के बढ़ते प्रकोप के कारण जब देशी रियासतों ने सुरक्षा दल बनाए तो वाजिद अली शाह ने भी महल की रक्षा के उद्ेशय से ससत्यों का एक सुरक्षा दल खड़ा किया । ऊदा भी एक सदसय के रूप में इसका हिसस् बनी । बहादुरी और तुरंत निर्णय लेने की उनकी क्षमता से नवाब की बेगम और देश के प्रथम सि्धीनता संग््म की नायिकाओं में से एक बेगम हजरत महल उनसे अतयवधक प्रभावित हुई । नियुसकि के कुछ ही समय पशच्ि ऊदा देवी को बेगम हजरत महल की महिला सेना की टुकड़ी का कमांडर बना दिया गया ।
महिला दसिे के कमांडर के रूप में ऊदा ने देश के प्रथम सििंत्ि् संग््म के दौरान जिस अदमय साहस , दूरदर्शिता और शौर्य का परिचय दिया , उससे खुद अंग्ेज सेना भी चकित रह गई थी । ऊदा देवी को शौर्य और बलिदान की प्रेरणा अपने पति मकक् पासी की शहादत से मिली थी । 10 मई , 1857 को मेर्ठ से प्रारमभ क्रांति पूरे उत्तर भारत में उस समय जोरों पर थी । 10 जून , 1857 को लखनऊ के कसब् चिनहट के निकट इसम्इलगंज में मौलवी अहमदउलल्ह शाह की अगुआई में संगव्ठि क्रसनिकारी सेनानियों
का हेनरी लॉरेंस के नेतृति में ईसट इंडिया कंपनी की फौज के साथ युद्ध हुआ । चिनहट की इस ऐतिहासिक लड़्ई में क्रांतिकारियों की विजय हुई तथा हेनरी लॉरेंस की फौज को मैदान छोड़कर भाग खड़् होना पड़ा । यह प्रथम सििंत्ि् संग््म की सबसे बड़ी उपलसबधयों में से एक थी । देश को गौरि्सनिि करनेवाली उस लड़्ई में सैकड़ों दूसरे सैनिकों के साथ मकक् पासी को भी वीरगति प्रापि हुई । ऊदा देवी ने अपने पति के शव पर अंग्ेजों से बदला लेने और अपने पति की शहादत को अमर करने की कसम खाई । मकक् पासी के बलिदान का प्रतिशोध लेने का यह अवसर ऊदा देवी को चिनहट के महासंग््म की अगली कड़ी सिकंदरबाग की लड़्ई में मिला ।
अंग्ेजों की सेना चिनहट की पराजय से बौखला गई थी । जब उनहें पता चला कि लगभग दो हजार क्र्सनिकारी सैनिकों ने लखनऊ के सिकंदर बाग में शरण ले रखी है तो 16 नवंबर , 1857 को कोलिन कैंपबेल के नेतृति में अंग्ेज सैनिकों ने सिकंदरबाग की घेराबंदी कर दी । ऊदा के नेतृति में वाजिद अली शाह की महिला सेना की टुकड़ी भी इसी बाग में थी । असावधान सैनिकों की बेरहमी से हतय् करते हुए अंग्ेज सैनिक तेजी से आगे बढ़ रहे थे । हजारों भारतीय सैनिक मारे जा चुके थे । पराजय सामने नजर आ रही थी । मैदान के एक हिससे में महिला टुकड़ी के साथ मौजूद ऊदा पराजय निकट देखकर पुरुषों का वेश धर हाथों में बंदूक और कंधों पर भरपूर गोला बारूद लेकर पीपल के
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