May 2023_DA | Page 43

ईसाई बने लोगों को फिर से हिंदू बनाने का काम नहीं किया । जो लोग हिंदू दलित से इसल्म या ईसाइयत में दीक्षित हो गए उनहें कांग्ेस ने जाने दिया । इस प्रकार दलितों को ही मिटाकर और उनहें विधमटी बन जाने देने की खुली छूट देकर कांग्ेस ने देश को तोड़रे की प्रवृत्ति को भी बढ़्ि् दिया । इसके विपरीत सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज ने दलितों को आर्य समाज में लाकर उनहें संसक्रित बनाने का कार्य किया । ऐसा करने के पीछे सि्मी जी महाराज का एक ही उद्ेशय था कि जब वे आर्य समाज में । दीक्षित हो जाएंगे तो हिंदू समाज के लोग उनहें मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति देंगे । पर ऐसा हुआ नहीं । तब सि्मी रिद्ध्रंद जी ने बहुत दुखी होकर “ लीडर ” में 11 मई 1924 को लिखा था कि इसका मतलब यह है कि दलित िगयों का कोई भी आदमी जब तक हिंदू समाज और धर्म का परितय्ग नहीं करेगा तब तक अपनी सामाजिक अक्षमताओं से छुटकारा नहीं पा सकता ।
अपने दलित भाइयों के साथ छुआछूत भेदभाव और सामाजिक अतय्चार करने वाले हिंदुओं को लि्ड़िे हुए सि्मी रिद्ध्रंद जी ने
‘ हिंदू संग्ठर ’ में ( 1924 ) लिखा था कि जो लोग अपने ही समाज के एक तिहाई लोगों को गुलाम बनाए बनाए हुए हैं और उनहें पैरों तले कुचल रहे हैं , उनहें विदेशियों द््रा किए गए अतय्चारों के विरुद्ध शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं है । सि्मी जी महाराज ने मद्रास में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हिंदुओ ! अपने दलित कहे जाने वाले बंधुओं को मान समम्र देकर उनहें अपना अभिन्न अंग समझो । असपृशयि् का परितय्ग करो । यह पाप है और यह रोग तुमहें ले डूबेगा । तुम यदि आज इनहें नहीं अपनाओगे तो फिर एक समय ऐसा आएगा जब तुम इनहें अपने में मिलाना चाहोगे परंतु यह तुमह्रे निकट नहीं आएंगे ।
सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज का उपरोकि कथन आज सतय सिद्ध हो रहा है । हिंदू ने अपनी परंपरागत मूर्खताओं को तय्गने का नाम नहीं लिया और राजनीति दलितों के प्रति पूर्णतया उदासीन बनी रही । उसका परिणाम यह हुआ कि दलित रूपी खेत पूरी तरह इसल्म और ईसाइयत को सौंप दिया गया । एक प्रकार से दलितों को इन दोनों विदेशी धर्मावलंबियों को
पट्े पर दे दिया गया । अब पट्े पर दी गई चीज को फिर से वापस लेना हिंदू समाज के लिए पूर्णतया असंभव होता जा रहा है । अपने ही लोग अर्थात अपने ही समाज के दलित जब मुससलम या ईसाई बनते हैं तो वे भारत के लोगों के प्रति और भारतीयता के प्रति बहुत ही अधिक दुर्भाव रखते देखे जाते हैं ।
यदि कांग्ेस समय रहते आर्य समाज के नेता सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज के परामर्श को सिीकार कर लेती और अपनी पूर्ण राजनीतिक इचछ्शसकि का परिचय देते हुए समाज में दलितों के समम्र के लिए जमीन पर लड़्ई लड़िी , देश के राजनीतिक दल इन दलितों को अपने लिए वोट बैंक ना मानकर उनके कलय्ण के लिए कार्य करते और हिंदू समाज व राजनीति मिलकर इनहे इसल्म और ईसाइयत को पट्े पर ना देते तो आज देश का हिंदू समाज बहुत अधिक मजबूत होता । समय अभी भी है यदि अब भी हमने ससथवि परिससथवियों को संभाल लिया तो आज भी हम एक मजबूत भारत का निर्माण करने में सफल हो सकते हैं ।
( साभार ) ebZ 2023 43