May 2023_DA | Page 42

jktuhfr

डींगें मार लें कि उनके नेता महातम् गांधी जी ने दलितों के उद्धार के लिए विशेष कार्य किया था । पर सच यह है कि दलित समाज का उद्धार करना कांग्ेस का मौलिक चिंतन नहीं था । महातम् गांधी भी अपने मौलिक चिंतन में अछूतों के प्रति किसी प्रकार से भी उदार नहीं थे । जब कोई वयसकि या कोई संग्ठर किसी उधारी मानसिकता या सोच या चिंतन के आधार पर कार्य करता है तो उसके उधारे चिंतन का कोई उललेखनीय प्रभाव दिखाई नहीं देता है ।
यही कारण रहा कि कांग्ेस के महातम् गांधी के दलित कलय्ण के क्ययों का कोई विशेष प्रभाव दिखाई नहीं दिया । हम कांग्ेस और उसके नेता महातम् गांधी के दलित कलय्ण संबंधी चिंतन को उधारा इसलिए कहते हैं कि कांग्ेस को दलितों के उद्धार के लिए प्रेरित करने वाले आर्य समाज के बड़े नेता महातम् मुंशीराम अर्थात सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज थे । जिनहोंने 1913 में दलितोद्धार सभा का ग्ठर किया था । अमृतसर के कांग्ेस अधिवेशन में 27 दिसंबर 1919 को उनहोंने अपने इस विषय को कांग्ेस के मंच से मुखय रूप से उ्ठ्या था और गांधी जी को इस बात के लिए प्रेरित किया था कि वे दलितों के उद्धार के लिए विशेष कार्य करें । यहीं से महातम् गांधी को सि्मी रिद्ध्रंद जी के माधयम से दलितों के लिए कुछ कार्य करने की प्रेरणा मिली । उनहोंने जो कुछ भी किया वह केवल समाज को दिखाने के लिए किया । कोई मौलिक योजना उनके पास ऐसी नहीं थी जिससे दलितों का कलय्ण हो सके या वह उनहें समाज में समम्रजनक सथ्र दिला सकें ।
सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज ने कांग्ेस के कलकत्ता व नागपुर अधिवेशन ( 1920 ) में भी ससममवलि होकर दलितों के उद्धार के कार्यक्रम को प्रसिुि किया था । उनहोंने 1921 में दिलली के हिंदुओं को इस बात के लिए प्रेरित किया था कि वह दलित वर्ग के लोग लोगों को अपने कुंए से पानी भरने दें । जिस समय दलितों के हित में कोई बोलने का साहस तक नहीं कर सकता था उस समय हिंदुओं को इस प्रकार की प्रेरणा देना अपने आप में बहुत ही साहसिक
पहल थी । जिसे कोई सि्मी रिद्ध्रंद ही कर सकता था । उनहोंने इस कार्य को सहर्ष अपने हाथों में लिया । इससे सि्मी जी के साहसिक नेतृति , दृढ़ इचछ्शसकि और दलितों के प्रति हृदय से काम करने की प्रबल इचछ् शसकि का पता चलता है ।
हमें यह बात धय्र रखनी चाहिए कि जब जब हिंदू समाज को संगव्ठि करने के प्रयास आर्य समाज या किसी भी हिंदूवादी नेता की ओर से किए गए हैं तब तब मुसलमानों ने उसमें अड़ंगा डालने का कार्य किया है । जिस समय सि्मी जी महाराज दलितों को गले लगाकर उनहें हिंदू समाज की एक प्रमुख इकाई के रूप में जोड़रे का साहसिक कार्य कर रहे थे उस समय भी मुससलम नेताओं को उनका यह कार्य पसंद नहीं आ रहा था । यही कारण था कि सि्मी जी महाराज के इस प्रकार के कार्यक्रम में कांग्ेस के मुसलमान नेताओं ने बाधा डालने का प्रयास किया था । जिसमें मोहममद मौलाना अली का नाम विशेष उललेखनीय है । जिसने लगभग 7 करोड दलितों को हिंदू मुससलम में आधे आधे बांटने की बात भी कही थी । मौलाना
अली के इस प्रकार के क्ययों से क्षुबध होकर सि्मी जी ने 9 सितंबर 1921 को गांधी जी को पत् लिखा था । जिसमें उनहोंने कहा था कि मैं नहीं समझता कि इन तथाकथित अछूत भाइयों के सहयोग के बिना जो सिराजय हमें मिलेगा , वह भारत र्षट् के लिए किसी भी प्रकार से हितकारी होगा ।
आज के राजनीतिक दलों को बड़ौदा नरेश और आर्य राजा महेंद्र प्रताप के दलितों के कलय्ण संबंधी क्ययों से प्रेरणा लेनी चाहिए । आज देश में राजयसभा और लोकसभा के कुल मिलाकर लगभग 800 सांसद हैं । पर उनमें से कोई एक भी राजा महेंद्र प्रताप या महाराजा बड़ौदा बनने का साहस नहीं रखता । यह सब आराम तलब हो चुके हैं । सि्मी रिद्ध्रंद जी महाराज जैसे महापुरुषों का अनुकरण करने की ओर तो यह आंख उ्ठ्कर तक नहीं देख सकते । इनकी राजनीतिक इचछ्शसकि केवल यहीं तक है कि वह किसी प्रकार हाथ उ्ठ्रे वाले सांसद बनकर लोकसभा या राजयसभा में जाकर बै्ठ जाएं ।
कांग्ेस ने कभी भी दलित से मुसलमान या
42 ebZ 2023