May 2023_DA | Page 37

तब तीनों की दूरदृसषट सही साबित हुई ।
भारत में दो अखिल भारतीय आनदोलन हुए एक मधय काल का भसकि आनदोलन तथा दूसरा र्षट्ीय आनदोलन । दोनों ही आनदोलनों ने र्षट् को एक से बढ़कर एक प्रेरक वयसकिति दिए । दोनों ही आंदोलनों में र्षट्ीय एकीकरण का ही भाव प्रबल दिखता है । जिस प्रकार भसकि
आनदोलन में नियामक वयसकिति तुलसी का है तथा उसके सापेक्ष कबीर का वयसकिति भंजक है , वो पुराने को तोड़ कर नवनिर्माण की कलपर् करते हैं । उसी प्रकार र्षट्ीय आनदोलन में महातम् गांधी के सापेक्ष बाबा साहब का वयसकिति है । इनमें से कोई भी एक-दूसरे का विरोधी नहीं है , बसलक एक दूसरे के पूरक हैं ।
भारत की गुलामी एक अभिशाप थी इसको दूर करने में जो एक कदम भी चला वो हमारे लिए आदरणीय है । डॉ आंबेडकर की तो पूरी पीढ़ी ही सिराज के लिए समर्पित थी । आज उनके जनमवदर पर हमें उस समपूणना पीढ़ी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए I
( साभार ) ebZ 2023 37