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भाव की इस पवित्ि् को विकसित करने में उनके अधययन की बड़ी भूमिका रही । कोलंबिया विशिविद््लय में उनके परास््िक शोधपत् का विषय ही ‘ भारत का र्षट्ीय लाभांश- एक ऐतिहासिक और विशलेरणातमक अधययन ’ था । इस अधययन ने उनकी चेतना को दादा भाई
नौरोजी तथा आर सी दत्त जैसे भारतीय अर्थश्ससत्यों की उस धारा से जोड़ दिया जिसने पूरी दुनिया से वरिटिश उपनिवेशवाद के नैतिक मुखौटे को उतारकर शोषक चेहरे को उजागर कर दिया था ।
समाज के आर्थिक विशलेरण की विभिन्न
सिरों के परिचय ने विदेशी आक्रमण तथा भारत विभाजन जैसे जटिल विषयों पर भी सपषट दृसषटकोण प्रदान किया । फलसिरूप ततक्लीन फैशन के विपरीत उनहोंने अपनी पुसिक ‘ थॉटस ऑन पाकिसि्र ’ में मधयकालीन आक्रमणों के पीछे के धार्मिक उद्ेशयों को उजागर किया । डॉ
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