May 2023_DA | Page 34

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दलित नेतरा से ज्यादरा रराष्ट्र जनमरा्षतरा हैं डॉ आंबेडकर

विवेक उपाध्ा्

में दो अखिल भारतीय आनदोलन हुए एक मधय भारत

काल का भसकि आनदोलन तथा दूसरा र्षट्ीय आनदोलन । दोनों ही आनदोलनों ने र्षट् को एक से बढ़कर एक प्रेरक वयसकिति दिए । दोनों ही आंदोलनों में र्षट्ीय एकीकरण का ही भाव प्रबल दिखता है । जिस प्रकार भसकि आनदोलन में नियामक वयसकिति तुलसी का है तथा उसके सापेक्ष कबीर का वयसकिति भंजक है , वो पुराने को तोड़ कर नवनिर्माण की कलपर् करते हैं । उसी प्रकार र्षट्ीय आनदोलन में महातम् गांधी के सापेक्ष बाबा साहब का वयसकिति है । 14 अप्रैल 1891 को बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर का जनम हुआ । बाबा साहब ने अपने उच् आदशयों के सामने कभी भी अपनी विशिषट छवि की चिंता नहीं की । उनका आदर्श था एक समतामूलक सििंत् भारतीय समाज की सथ्पना करना , जिसके लिए उनहोंने अपने जीवन के 56 वर्ष वरिटिश भारत तथा नौ वर्ष सििंत् भारत में संघर्ष करते हुए 6 दिसमबर 1956 को जब अंतिम सांस ली तो उनका मकसद संवैधानिक ढांचा प्रापि कर चुका था ।
इस प्रतयक्ष उपलसबध के आधार पर डॉ आंबेडकर के समर्थक तथा विरोधी दोनों ही उनहें दलित नेता के संकीर्ण ढांचे में सीमित करने का प्रयास करते हैं । उनके कट आउट के आकार से अपनी रिद्ध् प्रकट करते हैं । जबकि उनका कद उससे कहीं विसिृि है । वे र्षट् निर्माण को ततपर राजममनाज् , अर्थश्सत् के महान ज््ि् , पाकिसि्र के निर्माण की पड़ताल करने वाले विचारक और बौद्ध करुणा की पुनर्प्रतिष्ठा करने वाले धर्मदूत के रूप में है । उनके वयसकिति का सबसे बड़ा आकर्षण इन भूमिकाओं के निर्वहन के दौरान र्षट्ीय चेतना के सथ्यी भाव को बनाए रखने में है ।
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