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आधार पर भेदभाव करने की मनाही का इंतजाम किया । आर्टिकल 14 से 16 में महिलाओं को समाज में समान अधिकार देने का भी प्रावधान किया गया है । बाबा साहब ने संविधान में लिखा कि ‘ किसी भी महिला को सिर्फ महिला होने की वजह से किसी अवसर से वंचित नहीं रखा जाएगा और ना ही उसके साथ लिंग के आधार पर कोई भेदभाव किया जा सकता है ।‘ भारतीय संविधान के निर्माण के वकि भी बाबा साहब ने महिलाओं के कलय्ण से जुड़े कई प्रसि्ि रखे थे । इसके अलावा महिलाओं की खरीद-फरोखि और शोषण के विरुद्ध भी बाबा साहब ने कानूनी प्रावधान किए । साथ ही बाबा साहब ने संविधान में महिलाओं और बच्ों के लिए राजयों को विशेष कदम उ्ठ्रे की इजाजत भी दी ।
मताधिकार को लेकर 20वीं शताबदी के आधे हिससे तक दुनिया भर में कई आंदोलन हुए । नारीवाद की पहली और दूसरी लहर में महिलाओं के लिए वोटिंग राइटस की जबरदसि मांग उ्ठी लेकिन उस समय भारत में इसके लिए बहुत जय्दा आंदोलन नहीं हुए थे । जब बाबा साहब को संविधान लिखने का मौका मिला तो उनहोंने महिलाओं को भी समान मताधिकार दिया । आज 18 साल की उम्र होने पर महिलाएं वोट डालने का हक रखती हैं कयोंकि बाबा साहब ने महिलाओं को समान मताधिकार दिलाया था । ससिटजरलैंड जैसे देश में महिलाओं को मताधिकार 1971 में मिला लेकिन बाबा ने संविधान बनाते वकि ही महिलाओं को मताधिकार सुवरसशचि कर दिया ।
‘ हिंदू कोड बिल ’ के जरिए उनहोंने संवैधानिक सिर से महिला हितों की रक्षा का प्रयास किया । इस बिल के 4 प्रमुख अंग थे –
1 . हिंदुओं में बहू विवाह की प्रथा को समापि करके केवल एक विवाह का प्रावधान , जो विधिसममि हो ।
2 . महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देना और बच्े गोद लेने का अधिकार देना ।
3 . पुरुषों के समान नारियों को भी तलाक का अधिकार देना , हिंदू समाज में पहले पुरुष ही तलाक दे सकते थे ।
4 . आधुनिक और प्रगतिशील विचारधारा के
बबा साहब ने संविधान में लिखा कि ‘ किसी भी महिला को सिर्फ महिला होने की वजह से किसी अवसर से वंचित नहीं रखा जाएगा और ना ही उसके साथ लिंग के आधार पर कोई भेदभाव किया जा सकता है ।‘ भारतीय संविधान के निर्माण के िति भी बाबा साहब ने महिलाओं के कल्ाण से जुडे कई प्रस्ाि रखे थे । इसके अलावा महिलाओं की खरीद-फरोख्त और शोषण के विरुद्ध भी बाबा साहब ने कानूनी प्रावधान किए । साथ ही बाबा साहब ने संविधान में महिलाओं और बच्ों के लिए राज्ों को विशेष कदम उठाने की इजाजत भी दी ।
अनुरूप समाज को एकीककृि करके उसे मजबूत करना ।
डॉ . आंबेडकर का मानना था – ‘ सही मायने में प्रजातंत् तब आएगा , जब महिलाओं को पिता की संपत्ति में बराबरी का हिसस् मिलेगा । उनहें पुरुषों के समान अधिकार मिलेंगे । महिलाओं की उन्नति तभी होगी , जब उनहें परिवार – समाज में बराबरी का दर्जा मिलेगा । शिक्षा और आर्थिक तरककी उनकी इस काम में मदद करेगी ।’
लेकिन डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे हिंदुओं की वजह से हिंदू कोड बिल पास ना हो सका । आखिरकार 7 सितंबर 1951 को बाबा साहब ने मंत्ी पद से इसिीफा दे दिया । मकसद पूरा न होने पर सत्ता छोड़ देना निसि्थना समाजसेवी की पहचान है । ये बाबा साहब जैसे लोग ही कर सकते थे । बाद
में 1955-56 हिंदू कोड बिल के प्रावधानों को 1 . हिंदू विवाह अधिनियम , 2 . हिंदू तलाक अधिनियम , 3 . हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम , 4 . हिंदू दत्तकगृहण अधिनियम के रूप में अलग-अलग पास किया गया ।
महिलाओं को पिता और पति की संपत्ति में हिससेदारी देना , तलाक का अधिकार और बच्े गोद लेने का अधिकार भी बाबा साहब ने ही उनहें दिलाया । हिंदू ग्नथों के अनुसार ऐसी मानयि् थी कि अगर महिला अपने घर से डोली पर निकलती है तो वापस उसकी अथटी उ्ठिी है और विवाहित ससत्यों का अपने पिता के घर वापस आना पाप माना जाता था लेकिन बाबा साहब ने महिलाओं के लिए क्रांति की शुरुआत कर दी थी ।
28 ebZ 2023