का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब भारतीय समाज महिलाओं को चार दीवारी में कैद रखे हुए था तब उनहोंने कामकाजी महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव दिलाई ।
बाबा साहब ने शिक्षा के दम पर अपने असंखय बच्ों का भविषय संवारा था इसलिए बाबा साहब शिक्षा के महति को बखूबी जानते थे । पुरुषों की शिक्षा के साथ-साथ वो महिलाओं की शिक्षा को भी बहुत ्रूरी मानते थे । जेएनयू में असिसटेंट प्रोफेसर डॉ . प्रवेश कुमार के मुताबिक 1913 में नयूयार्क में एक भाषण देते उनहोंने कहा था ‘ मां – बाप बच्ों को जनम देते हैं , कर्म नहीं देते । मां बच्ों के जीवन को उचित मोड़ दे सकती हैं । यह बात अपने मन पर अंकित कर यदि हम लोग अपने लड़कों के साथ अपनी
लड़कियों को भी शिक्षित करें तो हमारे समाज की उन्नति और ते् होगी ।’ बाबा साहब का ये कथन पूरी तरह सच साबित हुआ । आज भारत की लड़वकयां शिक्षित होकर हवाई जहाज तक उड़् रही हैं ।
बाबा साहब ने अमेरिका में पढ़्ई के दौरान अपने पिता के एक करीबी दोसि को पत् में लिखा था , उनहोंने लिखा ‘ बहुत जलद भारत प्रगति की दिशा सिंय तय करेगा , लेकिन इस चुनौती को पूरा करने से पहले हमें भारतीय ससत्यों की शिक्षा की दिशा में सकारातमक कदम उ्ठ्रे होंगे । 18 जुलाई 1927 को करीब तीन हजार महिलाओं की एक संगोष्ठी में बाबा साहब ने कहा ने कहा था ‘ आप अपने बच्ों को सकूल भेजिए । शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही
जरूरी है जितना की पुरूषों के लिए । यदि आपको लिखना – पढ़र् आता है , तो समाज में आपका उद्धार संभव है । एक पिता का सबसे पहला काम अपने घर में ससत्यों को शिक्षा से वंचित न रखने के संबंध में होना चाहिए । शादी के बाद महिलाएं खुद को गुलाम की तरह महसूस करती हैं , इसका सबसे बड़् कारण निरक्षरता है । यदि ससत्यां भी शिक्षित हो जाएं तो उनहें ये कभी महसूस नहीं होगा ।’ भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्ीबाई फुले और फातिमा शेख की परंपरा को बाबा साहब ने आगे बढ़्या और महिलाओं को पढ़रे लिखने की आ््दी के लिए खूब प्रयास किए I
आज कामकाजी महिलाएं 26 ह्िों की मैटरनिटी लीव ले सकती हैं , जिसकी शुरुआत बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने ही की थी । 10 नवंबर 1938 को बाबा साहब अंबेडकर ने बॉमबे लेजिसलेटिव असेंबली में महिलाओं की समसय् से जुड़े मुद्ों को जोरदार तरीकों से उ्ठ्या । इस दौरान उनहोंनें प्रसव के दौरान महिलाओं के सि्सथय से जुड़ी चिंताओं पर अपने विचार रखे । कय् आप जानते हैं कि 1942 में सबसे पहले मैटरनिटी बेनेफिट बिल डॉ . अंबेडकर द््रा लाया गया था ? इसके बाद 1948 के Employees ’ State Insurance Act के जरिए भी महिलाओं को मातृति अवकाश की वयिसथ् की गई । बाबा साहब ने ये काम उस वकि कर दिया था , जब उस जमाने के सबसे ताकतवर मुलक भी इस मामले में बहुत पीछे थे । अमेरिका जैसे देश में साल 1987 में कोर्ट के दखल के बाद महिलाओं को मैटरनिटी लीव का रासि् साफ हुआ था । अमेरिका ने साल 1993 में Family and Medical Leave Act बनाकर आधिकारिक रूप से कामकाजी महिलाओं को पेड मैटरनिटी लीव का इंतजाम किया था । लेकिन बाबा साहब बहुत आगे की सोचते थे और उसे हकीकत बना देते थे ।
बाबा साहब ने भारतीय नारी को पुरुषों के मुकाबले बराबरी के अधिकार दिए हैं । भारतीय समाज में लैंगिक असमानता को खतम करने के लिए उनहोंने बाकायदा संविधान में लिंग के
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