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दलित वर्ग में अशिक्षा समराप्त करने की आवश्यकतरा
उत्तर आधुनिकता के युग में भी सामाजिक असमानता और असपृशयि् की समसय् दलित समाज के विकास के मार्ग में एक गंभीर समसय् बनी हुई है । दलित समाज आज भी सामाजिक और आर्थिक समानता प्रापि नहीं कर पाया है लेकिन यह प्रमाणित होता है कि समय की मांग के अनुसार दलितों की दशा और दिशा में आमूल चूल परिवर्तन अवशय हुआ है । केंद्र सरकार और राजय सरकार ने दलित समाज में अभिशपि गरीबी की समसय् के निराकरण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं क्रिय्सनिि की हैं लेकिन फिर भी दलित समाज सामाजिक और आर्थिक रूप से सशकि नहीं हो पाया है । डॉ . आंबेडकर ने दलित समाज में शिक्षा के प्रति चेतना उतपन्न की जिससे हज़ारों िरयों से शोषित दलित वर्ग अपना सामाजिक और आर्थिक विकास कर सके ।
भारत एक लोकि्सनत्क देश है , जिसमें 75 प्रतिशत लोग गांवों में निवास करते हैं । आज़ादी के कई दशक बाद भी भारत में जाति अपनी जड़ जमाये हुए है । हम 21वीं सदीं में प्रवेश कर चुके हैं लेकिन दलित समाज के साथ शोषण और उतपीड़न की घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है , लेकिन कुछ शिक्षाविदों का वकिवय है कि समाज की मानसिकता में परिवर्तन अवशय आया है । लेकिन यह बिलकुल गलत है कयोंकि अगर परिवर्तन हुआ है तो दलित समाज की मानसिकता में परिवर्तन हुआ है । यह सर्वविदित है कि भारत के शासन , प्रशासन , कार्मिक मंत््लयों और विभागों पर उच् िगयों का ही प्रभुति रहा है लेकिन फिर भी हमारा देश गरीबी समसय् और जाति के अभिशाप से कयों पीड़ित है ? लेकिन इसका उत्तर सभी के पास है । अगर देश का विकास करना है
24 ebZ 2023