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तो दलित वर्ग को समानता का अधिकार देना ही होगा जिससे हज़ारों िरयों से बहिष्कृत समाज देश की मुखय धारा से जुड़कर जन कलय्ण के क्ययों में अपना योगदान दे सकें । राजय सरकार और केंद्र सरकार दलित वर्ग के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विभिन्न सरकारी योजनाए क्रिय्सनिि कर रही है ।
दलित वर्ग के सामाजिक और आर्थिक जीवन
को गरीबी , जाति क्षेत्ि्द , धर्म , भ्रषट्चार , महंगाई , कुपोषण , अशिक्षा , जनसंखय् , प्राककृविक आपदाय आदि मुखय कारक प्रभावित कर रहे हैं । भूमंडलीकरण के युग में भी दलित वर्ग के विकास में गरीबी एक प्रमुख समसय् बनी हुई है । केंद्र सरकार और राजय सरकार दलित वर्ग का विकास के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएँ क्रिय्सनिि कर रही हैं लेकिन दलित समाज की आर्थिक
दशा में आमूल चूल परिवर्तन ही दृसषटगोचर होता है कयोंकि दलित समाज का भूमि और उतप्दन के संसाधनों पर एकाधिकार नहीं रहा है । प्रधानमंत्ी की आर्थिक सलाहाकार परिषद के अधयक्ष सुरेश तेंदुलकर की अधयक्षता में एक विशेरज् समिति ने रिपोर्ट तैयार की , इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 37.2 % 4 लोग गरीब हैं । यह आंकड़् 2004- 05 में किये गए 27.5 % के सिचेक्षण से करीब 10 फीसदी अधिक है I
दलित समाज में अभिशपि भुखमरी एवं गरीबी के लिए अशिक्षा एक प्रमुख कारक है । यह सतय है कि अशिक्षा के कारण दलित वर्ग परिवार नियोजन नहीं कर सकता । जिसके आय के प्रतिकूल बच्े होंगे वो अपने बच्ों को कैसे पढ़्एगा और कय् खिलायेगा ? सरकार को परिवार नियोजन के महति को जनसमपक्फ , रैली और विज््पनों के द््रा समझाना चाहिए । अगर दलित समाज की आर्थिक दशा सिसथ नहीं होगी तो वह देश के विकास में अपना योगदान नहीं दे सकेंगे । उदाहरण के तौर पर जिस तरह महातम् गांधी ने आनदोलन चलाया था कि अंग्ेजी हुकुमत हटाओ I ्ठीक उसी तर्ज पर आनदोलन चलाना चाहिए और इसमें ‘ दलितों की गरीबी और अशिक्षा हटाओ ’ का नारा बुलंद किया जाना चाहिए । गांधी जी ने कहा था कि राजनीतिक आ््दी तो मिल गई है मगर आर्थिक आ््दी नहीं मिली है । जिस तरह हमने अंग्े्ों को अपने देश से बाहर निकाला था , उसी प्रकार गरीबी और अशिक्षा को भी दूर भगाना होगा तभी एक खुशहाल देश का सपना पूरा हो सकेगा ।
डॉ आंबेडकर द््रा सुझाया गया तरीका ही सबसे उपयोगी है । ज़रूरत इस बात की है कि सभी राजनीतिक पार्टियाँ दलित समाज को सशकि करने के लिए दलितों की सार्वभौमिक समसय्ओं को अपना मुद्् बनाएं , जिससे दलित समाज को देश की मुखयधारा से जोड़ा जा सके । दलित समाज को डॉ आंबेडकर के गुरुमंत्ों को अपने जीवन में उतारना ही होगा जिससे दलित समाज समाज में सामाजिक समानता प्रापि करने और देश के जनकलय्ण के क्ययों में अपना योगदान दे सकें । �
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