March 2025_DA | Page 6

चिंतन

थी । प्यागराज में महाकुं्भ के दौरान स्भी देवी- देवता जुटे , संत-महातरा जुटे , बाल-वृद् जुटे , महिलाएं-युवा जुटे , और हमने देश की जागृत चेतना का साक्ातकार किया । यह महाकु ं्भ एकता का महाकु ं्भ था , जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्ा एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी । तीर्थराज प्याग के इसी क्ेरि में एकता , समरसता और प्ेर का रहवरि क्ेरि श्रृंगवेरपुर ्भी है , जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था । उनके मिलन का वह प्संग ्भी इतिहास में ्भक्त और सद्ाव के संगम की तरह ही है । प्यागराज का यह तीर्थ आज ्भी हमें एकता और समरसता की वो प्ेरणा देता है ।
उनिोंने लिखा कि पिछले 45 दिन , प्हतह्न देखा , कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढे जा रहे हैं । संगम पर स्ान की ्भावनाओं का जवार , लगातार बढता ही रहा । हर श्रद्ालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्ान । मां गंगा , यमुना , सरसवती की हरिवेणी हर श्रद्ालु को उमंग , ऊर्जा और हव्वास के ्भाव से ्भर रही थी । प्यागराज में हुआ महाकु ं्भ का यह आयोजन , आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्ोफेशन्स के लिए , पलाहनंग और रलॉहलसी ए्सररस्म के लिए , नए सिरे से अधययन का विषय बना है । आज रदूरे हव्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई ्दूसरी तुलना नहीं है , ऐसा कोई ्दूसरा उदाहरण ्भी नहीं है ।
उनिोंने लिखा कि रदूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर , हरिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संखया में करोड़ों की संखया में लोग जुटे । इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंरिण था , ना ही किस समय पहुंचना है , उसकी कोई रदूव्म सदूचना थी । बस , लोग महाकुं्भ चल रड़े और रहवरि संगम में डुबकी लगाकर धनय हो गए । आज रदूरे हव्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई ्दूसरी तुलना नहीं है , ऐसा कोई ्दूसरा उदाहरण ्भी नहीं है ।
प्धानमंरिी मोदी ने लिखा कि वह उन तसवीरें को नहीं ्भदूल सकते , स्ान के बाद असीम आनंद और संतोष से ्भरे वह चेहरे नहीं ्भदूल सकता । महिलाएं हों , बुजुर्ग हों , दिवयांग जन हों , जिससे
जो बन रड़ा , वह साधन करके संगम तक पहुंचा । मेरे लिए यहां देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संखया में ्भारत की आज की युवा पीढी प्यागराज पहुंची । ्भारत के युवाओं का इस तरह महाकुं्भ में हिससा लेने के लिए आगे आना , एक बहुत बड़ा संदेश है । इससे यह हव्वास दृढ होता है कि ्भारत की युवा पीढी हमारे संसकार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायितव समझती है और इसे लेकर संकल्रत ्भी है , समर्पित ्भी है ।
उनिोंने लिखा कि इस महाकु ं्भ में प्यागराज पहुंचने वालों की संखया ने निश्चत तौर पर एक नया रिकलॉड्ट बनाया है । लेकिन इस महाकुं्भ में यह ्भी देखा कि जो प्याग नहीं पहुंच पाए , वह ्भी इस आयोजन से ्भाव-हव्भोर होकर जुड़े । कुं्भ से लौटते हुए जो लोग हरिवेणी तीर्थ अपने साथ लेकर गए , उस जल की कुछ बदूंदों ने ्भी करोड़ों भक्तों को कुं्भ स्ान जैसा ही पुणय दिया । कितने ही लोगों का कुं्भ से वापसी के बाद गांव-गांव में जो सतकार हुआ , जिस तरह रदूरे समाज ने उनके प्हत श्रद्ा से सिर झुकाया , वह अविसररणीय है ।
यह कुछ ऐसा हुआ है , जो बीते कुछ दशकों में पहले क्भी नहीं हुआ । यह कुछ ऐसा हुआ है , जो आने वाली कई-कई शताकब्यों की एक नींव रख गया है ।
उनिोंने लिखा कि प्यागराज में जितनी क्रना की गई थी , उससे कहीं अधिक संखया में श्रद्ालु पहुंचे । इसकी एक वजह यह ्भी थी कि प्शासन ने ्भी पुराने कुं्भ के अनु्भवों को देखते हुए ही अंदाजा लगाया था । लेकिन अमेरिका की आबादी के करीब दोगुने लोगों ने एकता के महाकु ं्भ में हिससा लिया , डुबकी लगाई । आधयाकतरक क्ेरि में शोध करने वाले लोग करोड़ों ्भारतवासियों के इस उतसाि पर अधययन करेंगे तो पाएंगे कि अपनी विरासत पर गौरव करने वाला ्भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ रहा है । मैं मानता िदूं , यह युग परिवर्तन की वो आहट है , जो ्भारत का नया ्भहवषय लिखने जा रही है । महाकु ं्भ की इस परंपरा से , हजारों वरषों से ्भारत की राषट्रीय चेतना को बल मिलता रहा है । हर रदूण्मकुं्भ में समाज की उस समय की पररकस्हतयों पर ऋषियों-मुनियों , हवद्त् जनों द्ारा 45 दिनों तक
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