March 2025_DA | Page 5

चिंतन

एकता के र्हाकु म्भ र्ें सभी एक हो गए -नरेंद्र र्ोदी

e हाकुं्भ को प्धानमंरिी नरेनद्र मोदी ने ‘ एकता के महायज्ञ ’

की संज्ञा देते हुए लिखा कि ्भारत को अपनी विरासत पर
गर्व है और वह नई ऊर्जा के साथ आगे बढ रहा है । यह परिवर्तन के युग का शु्भारं्भ है जो देश के लिए एक नया ्भहवषय लिखने के लिए तैयार है । जिस तरह एकता के महाकुं्भ में हर श्रद्ालु , चाहे वो गरीब हों या संपन्न हों , बाल हो या वृद् हो , देश से आया हो या विदेश से आया हो , गांव का हो या शहर का हो , रदूव्म से हो या पश्चर से हो , उतिर से हो ्हक्ण से हो , किसी ्भी जाति का हो , किसी ्भी विचारधारा का हो , सब एक महायज्ञ के लिए एकता के महाकुं्भ में एक हो गए । एक ्भारत-श्रेष्ठ ्भारत का यह चिर सररणीय दृ्य , करोड़ों देशवासियों में आतरहव्वास के साक्ातकार का महापर्व बन गया । अब इसी तरह हमें एक होकर विकसित ्भारत के महायज्ञ के लिए जुट जाना है ।
महाकु ं्भ में ्भागीदारी करने वाले श्रद्ालुओं की ्भारी संखया न केवल एक रिकलॉड्ट है , बल्क इसने ्भारतीय संस्कृति और विरासत को सुदृढ और समृद् बनाए रखने के लिए कई शताकब्यों तक एक सश्त नींव रखी है । एकता के महाकुं्भ के सफल समापन पर संतोष जताते हुए और नागरिकों को उनकी अथक मेहनत , प्यासों और दृढ संक्र के लिए धनयवाद देते हुए प्धानमंरिी मोदी ने एक ब्लॉग में अपने विचार साझा किए ।
अपने ब्लॉग में उनिोंने लिखा कि प्यागराज में एकता के महाकुं्भ में रदूरे 45 दिनों तक जिस प्कार 140 करोड़ देशवासियों की आस्ा एक साथ , एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी , वो अह्भ्भदूत करता है । जब एक राषट्र की चेतना जागृत होती है , जब वह वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतनय के साथ हवा में सांस लेने लगता है , तो ऐसा ही दृ्य उरकस्त होता है , जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्यागराज में एकता के महाकु ं्भ में देखा ।
उनिोंने लिखा कि 22 जनवरी , 2024 को अयोधया में राम मंदिर के प्ाण प्हतष्ठा समारोह में उनिोंने देव्भक्त से देश्भक्त की बात कही
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