वैश्वक अर्थवयवस्ा में रदूण्म ्भागीदारी में बाधा डालने वाली बाधाओं को ्दूर करता है । अंतरा्मषट्रीय श्रम संग्ठन ( आईएलओ ) ्भी 2008 में अपनाए गए निषरक् वै्वीकरण के लिए सामाजिक नयाय पर घोषणा के माधयर से सामाजिक नयाय को बढावा देने में महत्वपूर्ण ्भदूहरका हन्भाता है । यह घोषणा पिछले आईएलओ व्तवयों पर आधारित है और संग्ठन की नीतियों के रदूल में स्य कार्य एजेंडा को रखती है ।
यह दिन विकास और मानव समरान को बढावा देने के लिए संयु्त राषट्र के वयारक मिशन के साथ जुड़ा हुआ है । 2009 में शुरू की गई सामाजिक सुरक्ा फ़लोर जैसी पहल स्भी के लिए बुनियादी सामाजिक गारंटी सुनिश्चत करने के लिए संयु्त राषट्र की प्हतबद्ता को प््हश्मत करती है । हव्व सामाजिक नयाय दिवस कई प्रुख हसद्ांतों और उद्े्यों पर प्काश डालता है :
भारत में सामाजिक न्याय का विकास
्भारत ने 2009 से हव्व सामाजिक नयाय दिवस मना रहा है । ्भारत में सामाजिक नयाय और सशक्तकरण का विकास ऐतिहासिक संघरषों , संवैधानिक आदेशों और नीतिगत विकासों से प्रभावित एक रिहरक लेकिन प्गतिशील प्हरिया रही है । सामाजिक नयाय और सशक्तकरण की ्भावना ्भारत के सवतंरिता आंदोलन और संविधान द्ारा स्भी नागरिकों , विशेष रूप से हाशिए पर रड़े समुदायों के लिए समानता , समरान और नयाय सुनिश्चत करने के दृकषटकोण में गहराई से निहित है । ्भारत का संविधान हवह्भन्न प्ावधानों के माधयर से सामाजिक नयाय और सशक्तकरण के लिए एक मजबदूत आधार तैयार करता है जिसका उद्े्य सामाजिक असमानताओं को समापत करना और
वंचित सरदूिों के क्याण को बढावा देना है ।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर प्मुख संवैधानिक प्ावधान
प्सतावना सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक नयाय सुनिश्चत करती है , कस्हत और अवसर की समानता की गारंटी देती है और वयक्तगत गरिमा और राषट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए ्भाईचारे को बढावा देती है । यह ्भे््भाव से मु्त नयायरदूण्म और समावेशी समाज की नींव रखती है ।
मौलिक अधिकार ( भाग । । । )
अनुचछे्-23 मानव तसकरी और जबरन मज्दूरी पर रोक लगाता है , जिससे ऐसी प््ाएं कानदून द्ारा दंडनीय हो जाती हैं । अनुचछे्-24 खतरनाक वयवसायों में बाल श्रम पर प्हतबंध
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