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पुस्तक समीक्ा

किया और उन नियमों को आधयाकतरक एवं ्भौतिक आधारों पर परीहक्त किया । प्ाचीन हिं्दू धर्म में इस प्कार के अनेक धर्म एवं ज्ञान के पुरोधा पाए जाते हैं , महर्षि वयाघ्र और उनके द्ारा प्णीत ' वयाघ्र गीता ' को हिं्दू धर्म की सुदृढ़ पीह्ठका होने के कारण महा्भारत जैसे महाग्ं् में स्ान दिया गया जो खटिक जाति के लिए समरान का विषय है ।
विदेशी मुसलिम आरिांताओं में खटिक वंश का ऐतिहासिक युद् पर केंद्रित पुसतक के तीसरे अधयाय में सोने की चिड़िया-हिन्ुस्ान की समृहद् , मिलिंद को पढ़ाया अहिंसा का पा्ठ एवं सिकंदर के सवप्न का किया ्भंग , अरब आरिरण का दिया मुंहतोड़ जवाब , रिरदू् गजनवी के साथ लगातार युद् , इसलाहरक आरिांता मुहमर् गौरी एवं ततकाहलक खटिक वंश , तैरदूरलंग से दम पर लिया लोहा , आंतरिक कलह एवं आरिांताओं के षड़यंरि से हिं्दू हुए पराजित एवं विदेशी आरिांताओं के दमन चरि का निरंतर विरोध आदि विषयों को समाहित किया गया है । इस अधयाय में डा . सोनकर शासरिी ने सरषट किया है कि विदेशी आरिांताओं ने खटिक एवं अनय हिं्दू जातियों पर अनेक प्कार का दमन एवं दमन चरि चलाया था , परनतु इसका सतत विरोध खटिक जाति ने किया , जो आज तक मुसलमानों से स्वाभाविक बैर्भाव रखते हैं । मुसलमान ्भी खटिक जाति से इसलिए घृणा करता है ्योंकि उतिर ्भारत में खटिक उसके शरिु पशु सदूअर को पालता है ।
पुसतक के चौथे अधयाय में खटिक जाति द्ारा हिं्दू धर्म , संस्कृति एवं स्वाभिमान की रक्ा विषय पर उतिर ्भारत में हिं्दू एवं मुसलमानों का युद् , इसलाहरक जिहाद का मुंहतोड़ जवाब , विदेशी इसलामिक शासकों द्ारा धर्मपरिवर्तन अह्भयान , खटिक जाति द्ारा हिं्दू धर्म रक्ा , धर्म रक्ा््म सुअर पालन , सुअर वयवसाय एवं हिं्दू संस्कृति निर्वहन , इसलाहरक निरंकुशता से ट्कर लेती खटिक जाति एवं हिं्दू स्वाभिमान की रक्क खटिक जाति आदि पर विसतार से जानकारी दी गई है । डा . सोनकर शासरिी के अनुसार खटिक जाति सुअर पालने के बावजदू् न तो हिं्दू धर्म
संस्कृति से अलग हुई और न ही हिं्दू संस्कृति के निर्वहन में असफल रही । उनिोंने समसत इसलामिक अतयाचारों का विरोध करते हुए उनका सामना किया । यही कारण है कि आज ्भी खटिक जाति को लोग हिं्दू स्वाभिमान की रक्क जाति मानते हैं ।
पुसतक का पांचवां अधयाय विदेशी मुसलिम एवं अंग्ेजी शासकों के अतयाचार की शिकार खटिक जाति पर केंद्रित है । इस अधयाय में खटिक जाति एवं योद्ा जाति , विदेशी मुसलिम शासकों से ्भयंकर ट्कर , मुसलमान शासकों के प्चंड उतरीड़न से बचने हेतु हिन्ुओं का बड़ी संखया में जंगल में पलायन , मुसलिम आरिांताओं के ्भयानक अतयाचार की शिकार खटिक जाति के लोग , हिं्दू धर्म रक्ा , अंग्ेजों
से पुनः टकराव एवं उनके द्ारा अपराधी जाति घोषित , अंग्ेजों द्ारा खटिक जाति का ्भारी सामाजिक एवं आर्थिक उतरीड़न एवं सामाजिक एवं आर्थिक उतरीड़न से खटिक हुए दलित आदि की चर्चा की गई है । डा . शासरिी ने इस अधयाय में लिखा है कि खटिक जाति के लोग न तो रदूव्म में और न ही आज , किसी ्भी विदेशी संस्कृति और धर्म के प्रभाव ने नहीं आये । ्भले ही वह सामाजिक एवं आर्थिक उतरीड़न से दलित की श्रेणी में पहुंचा दिए गए , लेकिन एक योद्ा जाति के रूप में खटिक जाति ने अपनी पहचान को हमेशा बनाए रखा ।
सवतंरिता आंदोलन में खटिक जाति की अग्णी ्भदूहरका पर आधारित पुसतक का छ्ठवें अधयाय में अंग्ेजी शासकों का खटिक जाति
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