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को ्भारत की अंतरिम सरकार बनी और जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्धानमंरिी बने ।
बंगाल से संविधान सभा के सदस्य बने आंबेडकर
इससे पहले कैबिनेट मिशन की सिफारिशों पर संविधान स्भा की 385 सीटों के लिए जुलाई-अगसत 1946 में चुनाव हो गए थे । उस चुनाव में आंबेडकर ्भी एक उमरी्वार थे , जो बंबई से शेड्यूल कासट फेडरेशन के उमरी्वार थे , लेकिन वो चुनाव हार गए । लेकिन महातरा गांधी से लेकर कांग्ेस और यहां तक कि मुकसलर लीग के लोग ्भी चाहते थे कि आंबेडकर को
तो संविधान स्भा का सदसय होना ही चाहिए , तब बंगाल से बी . आर . आंबेडकर को उमरी्वार बनाया गया । मुकसलर लीग के वोटों के जरिए आंबेडकर चुनाव जीत गए और संविधान स्भा के सदसय बन गए ।
राजेंद्र प्साद बने संविधान सभा के अधयक्
लेकिन अ्भी तो असली कहानी बाकी थी । जिस मुकसलर लीग ने कैबिनेट मिशन के चुनावी प्सताव को सवीकार कर लिया था , उसी मुकसलर लीग ने संविधान स्भा में शामिल होने से इनकार कर दिया । इस बीच 6 दिसंबर , 1946 को ब्रिटिश
सरकार ने ्भी मान लिया था कि दो देश और दो संविधान स्भाएं बन सकती हैं । ब्रिटिश सरकार के इस मानने ्भर को मुकसलर लीग ने अपनी जीत के तौर पर देखा । और फिर 9 दिसंबर , 1946 को जब संविधान स्भा की पहली बै्ठक हुई तो मुकसलर लीग से कोई ्भी उस बै्ठक में शामिल नहीं हुआ । मुकसलर लीग ने मुकसलरों के लिए अलग संविधान स्भा और अलग देश की मांग कर दी । लाख कोशिशों के बाद ्भी जब मुकसलर लीग के लोग नहीं माने तो संविधान स्भा ने अपना काम शुरू कर दिया । सबसे वरिष्ठ सदसय डा . सच्चिदानंद सिनिा को संविधान स्भा का अस्ायी अधयक् नियु्त
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