March 2025_DA | Page 13

है ।
यह एक अहद्तीय महापर्व है , जहां हवह्भन्न संस्कृतियाँ , ्भाषाओं और परमरराओं के धागे सहजता से आपस में मिलते हैं । यह विविधता में एकता के हसद्ांत का प्राण है । तीर्थयारिी , अपनी पृष्ठ्भदूहर की परवाह किए बिना , आधयाकतरकता के इस उतसव में एक साथ आते हैं , जो समाज की सीमाओं से परे ्भाईचारे की ्भावना को बढावा देती हैं । यह जीवंत सांस्कृतिक महोतसव ्भी है , जो ्भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद् गाथा को प््हश्मत करता है ।
हिन्दू आस््ा का समागम
कुं्भ मेले की उतरहति हिं्दू पौराणिक कथाओं में निहित है । प्ाचीन हिं्दू धर्मग्ं्ों में समुद्र मंथन की कहानी के अनुसार , देवताओं और राक्सों ( असुरों ) के बीच अमृत ( अमरता का अमृत ) के लिए लड़ाई हुई । इस दिवय युद् के दौरान , अमृत की बदूंदें चार स्ानों -प्यागराज , हरिद्ार , उज्ैन और नासिक- में गिरीं , जहां अब कुं्भ मेला आयोजित किया जाता है । प्यागराज में हर 144 साल में एक बार महाकुं्भ होता है । ऐतिहासिक रूप से , महाकुं्भ मेले का उ्लेख प्ाचीन काल से किया जाता रहा है , जिसका इतिहास मौर्य और गुपत काल से मिलता है । इसे
मुगलों सहित हवह्भन्न राजवंशों से शाही संरक्ण प्ापत हुआ और जेमस हप्ंसेप जैसे औपनिवेशिक प्शासकों द्ारा इसका दसतावेजीकरण किया गया । सदियों से , यह एक वैश्वक आधयाकतरक और सांस्कृतिक घटना के रूप में विकसित हुआ है । यदूनेसको द्ारा अरदूत्म सांस्कृतिक विरासत के रूप में मानयता प्ापत , कुं्भ मेला ्भारत की स्ायी परंपराओं का प्तीक है , जो दुनिया ्भर में लाखों लोगों के बीच एकता , आधयाकतरकता और सांस्कृतिक आदान-प््ान को बढावा देता है । प्तयेक कुं्भ मेले का समय सदूय्म , चंद्रमा और बृहसरहत की जयोहतरीय कस्हत से निर्धारित होता है , जिसे आधयाकतरक शुहद् और आतरज्ञान के लिए शु्भ अवधि का संकेत माना जाता है । यह पर्व आस्ा , संस्कृति और परंपरा का संगम है , जो तरकसवयों , साधकों और भक्तों को समान रूप से आकर्षित करता है । इस आयोजन की ्भवयता शाही स्ान ( स्ान अनुष्ठान ), आधयाकतरक प्वचन और जीवंत सांस्कृतिक जुलदूसों से हचहनित होती है जो ्भारत की गहरी आधयाकतरक विरासत को दर्शाते हैं ।
आगामी कुमर मेला नासिक में
प्यागराज में आयोजित महाकुं्भ मेले के
समापन के बाद आगामी कुम्भ मेला 2027 में महाराषट्र कस्त नासिक में आयोजित किया जाएगा । यह मेला त्रंबके्वर में लगेगा । इसके बाद 2028 में रदूण्म कुं्भ का आयोजन उज्ैन कस्त सिंहस् में होगा । इसके साथ 2030 में प्यागराज में अर्धकुं्भ का ्भवय आयोजन किया जाएगा । महाराषट्र के नासिक में 2027 में आयोजित होने वाला कुम्भ मेले का अपना अलग महतव है । नासिक , जो अपने आधयाकतरक और पौराणिक महतव के लिए जाना जाता है , सिंहस् कुं्भ मेले की मेजबानी त्रंबके्वर क्ेरि में , जो गोदावरी नदी के तट पर कस्त है , करेगा । नासिक में कुं्भ मेले का आयोजन 17वीं शताब्ी से किया जा रहा है और यह अपनी ्भवयता के लिए जाना जाता है । निर्बाध आयोजन सुनिश्चत करने के लिए , महाराषट्र के मुखयरंरिी देवेंद्र फड़नवीस ने 2027 के कुं्भ मेले को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने का वादा किया है । नासिक कुं्भ क्ेरि लग्भग 250 हे्टेयर का होगा । नासिक कुं्भ मेला 17 जुलाई , 2027 को शुरू होगा और एक महीने तक श्रद्ालु रहवरि गोदावरी के रहवरि जल में डुबकी लगाएंगे । नासिक में पिछली बार कुं्भ मेले का आयोजन 2015 में हुआ था ।
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