March 2024_DA | Page 49

कर देश को तोड़ने की योजना बना रहे है । उस पर तुरंत कार्यवाही करे । मगर ऐशो आराम में मसत बृहदरथ ने पुष््लमत् की बात पर कोई ध्ान नहीं दिया । विवश होकर पुष््लमत् ने सेना के निरीक्ण के समय बृहदरथ को मौत के घाट उतार दिया । इसके पशिात पुष््लमत् ने बुद्ध विहारों में छिपे उग्वादियों को पकड़ने के लिए हमला बोल दिया । ईसाई मिशनरी पुष््लमत् को एक खलनायक , एक हत्ारे के रूप में चिलत्त करते हैं । जबकि वह महान देशभकत था । अगर पुष््लमत् बुद्धों से द्ेर करता तो उस काल का सबसे बड़ा बुद्ध सतूप न बनवाता ।
ईसाई मिशनरियों द्ारा आदि शंकराचार्य , कुमारिल भट्ट और पुष््लमत् को निशाना बनाने
के कारण उनकी ब्ाह्मणों के विरोध में दलितों को भड़काने की नीति थी । ईसाई मिशनरियों ने तीनों को ऐसा दर्शाया जैसे वह तीनों ब्ाह्मण थे और बुद्धों को विरोधी थे । इसलिए दलितों को बुद्ध होने के नाते तीनों ब्ाह्मणों का बहिष्कार करना चाहिए । ईसाई मिशनरी ने हिनदू समाज से समबंलधत त्ोिारों को भी नकारातमक प्रकार से प्रचारित करने का एक नया प्रपंच किया । इस खेल के पीछे का इतिहास भी जानिए । जो दलित ईसाई बन जाते थे । वह अपने रीति-रिवाज , अपने त्ोिार बनाना नहीं छोड़ते थे । उनके मन में प्राचीन धर्म के विषय में आसथा और श्रद्धा धर्म परिवर्तन करने के बाद भी जीवित रहती थी । अब उनको कट्टर बनाने के लिए उनको
भड़काना आवश्क था । इसलिए ईसाई मिशनरियों ने विशवलवद्याि्ों में हिनदू त्ोिारों और उनसे समबंलधत देवी देवतों के विषय में अनर्गल प्रलाप आरमभ किया । इस षड़यंत् के तहत महिषासुर दिवस का आयोजन दलितों के माध्म से कुछ लवसशवद्याि्ों में ईसाईयों ने आरमभ करवाया । इसमें शोध के नाम पर भ्रमित करते हुए यह बताया गए कि काली देवी द्ारा अपने से अधिक शसकतशाली मूलनिवासी राजा के साथ नौ दिन तक पहले शयन किया गया । अंतिम दिन मदिरा के नशे में देवी ने शुद् राजा महिषासुर का सर काट दिया । ऐसी बेहूदी , बचकाना बातों को शौध का नाम देने वाले ईसाईयों का उद्ेश् दशहरा , दीवाली , होली ,
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