देश की मांग का समर्थन किया और फिर पाकिसतान बनाने के लिए सलरिय हो गए । पाकिसतान निर्माण के लिए जिन्ना ने उसी कांग्ेस का साथ भी छोड़ दिया था , जिस कांग्ेस में शामिल होकर उनिोंने सवतंत्ता संघर्ष में हिससा लेने की घोषणा की थीI
जिन्ना का परिवार अपने मूल धर्म से विद्ोि कर चुका था , इसलिए उनके बागी बनने में कोई बड़ा अवरोध न था । जिन्ना सामाजिक एकता ,
समरसता की बात तो करते थे , मगर धार्मिक न होते हुए भी धर्म की पक्धरता न छोड़ पाए । जिन्ना की विचारधारा को लेकर आम मुसलमान बंटा रहा और बदले में देश का बॅटवारा हो गया । गौर करने लायक तथ्य यह भी है कि जिन्ना पाकिसतान के संविधान में बराबरी और सबके लिए राजनीतिक हिससेदारी की व्वसथा नहीं कर पाए और जिन्ना की तरह उनका पाकिसतान आज तक अंतद््वंद का शिकार है । जिन्ना को
धर्मनिरपेक् मानने और समझने वालों ने शायद उनके इस बयान को भी भुला दिया , जिसमें उनिोंने कहा था कि पाकिसतान बने बगैर अगर भारत सवतनत् हो भी गया , तब भी यहां मुससिमों को कोई अधिकार मिलने वाले नहीं हैं । हिनदू बहुसंख्क समुदाय उनिें हमेशा दबाकर रखेगा और उनका शोषण करेगा । जिन्ना के इस झूठ को इसी से समझा जा सकता है कि भारत में मुससिमों को कितने लोकतासनत्क अधिकार अलपसंख्क के नाम पर कितने विशेषाधिकार एवं छूट मिली हुई है ।
ज़ाहिर है कि जिन्ना के अंदर छिपा बैठा कट्टर मुससिम , भारत की संसकृलत और हिनदू उदार मानसिकता को कभी समझ ही नहीं पाया । देखा जाए तो जिन्ना द्ारा पाकिसतान का निर्माण एक सुलनसशित इसिामी विचारधारा के तहत सोच- समझकर किया गया । उधर जिन्ना के पाकिसतानी सपने को पूरा करने में ततकािीन समय के दलित नेता जोगेंद् नाथ मंडल ने पूरी मदद की । मंडल का जनम पसशिम बंगाल के उस नमोशुद्ा समाज में हुआ था , जिसकी गिनती दलित एवं असपृश्-जातियों में होती थी । दलित समाज में पैदा होने के कारण जोगेनद्नाथ मंडल को अपने समाज की चिंता थी और अपने समाज का भला करने के लिए उनिोंने राजनीति में प्रवेश कियाI पर ततकािीन समय में कांग्ेस के एजेंडे में उसके अपने समाज के लिए ज्ादा कुछ करने की इचछा नहीं है । फिर वह डा . आंबेडकर के समपक्फ में आये और 1942 को डा . आंबेडकर के ' अखिल भारतीय शेड्ूलड कासर फेडरेशन ' में अपने साथियों के साथ शामिल हो गए । पर मंडल अपने समाज के लिए जो कुछ करना चाहते थे , वैसा वह नहीं कर पाए और फिर कांग्ेस से मिली निराशा उनिें जिन्ना और मुससिम लीग की और खींच ले गयी । जिन्ना के संपर्क में आने के बाद मंडल को ऐसा लगने लगे कि जिन्ना ही दलित समाज का वासतलवक कल्ाण कर सकेंगे और फिर मंडल पाकिसतान की मांग के समर्थन में आ गए । इसके बाद उनिोंने दलित समाज के लाखों लोगों को पाकिसतान में जाकर बसने के लिए तैयार कर लिया । मंडल को जिन्ना
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