और फिर इसी राजनीतिक अससथरता का परिणाम सत्ा के लिए मची होड़ के रूप में देखा गया ।
सत्ा की यह होड़ नयी नहीं थी , पर सत्ा हासिल करने के लिए कांग्ेस ने जातिवाद , वंशवाद , पंथवाद , तुष्टिकरण की जिस राजनीति का प्रचार-प्रसार किया । इसका परिणाम विकास की मुख् धारा से दूर देश के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनता को उतपीड़न और अत्ािार के रूप में उठाने के लिए बाध् होने के रूप में मिला , वही तुष्टिकरण और पंथवाद ने देश में उन कट्टर मुससिमों को भी एक ऐसी नई राह दिखाई , जिस राह ने देश में सामप्रदायिकता को एवं मुससिम समाज की दुर्दशा के अंधेरे में भटकने के लिए बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ीI देश के दलित एवं मुससिम समाज में फैला आरिोश और असंतोष , कांग्ेस और उसके नेताओं की अदूरदर्शिता एवं गलत नीतियों का परिणाम कहा जा सकता है ।
भारत को सवतंत्ता मिलने के बाद अगर
देश की राजनीति पर ध्ान दिया जाए तो यह कहना गलत नहीं लगता कि सवतंत् भारत में 2014 में प्रधानमंत्ी नरेंद् मोदी के रूप में पहली बार कोई ऐसा नेता जनता के सामने आया है , जिसने सत्ा संभालने के मध् उन मुद्ों और रणनीति को पीछे छोड़ दिया , जिस पर सवतंत् भारत की नींव टिकी हुई थी । 2014 के चुनावों में मिली विजय के बाद देश की सत्ा संभालने वाले नरेंद् मोदी ने गरीबी उनमूिन के लिए जो प्रयास किए , उसने देश की तसवीर बदल दी । अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की जनता के लिए धरातल पर गंभीरता से काम किया गया । प्रधानमंत्ी नरेंद् मोदी ने ‘ सबका साथ और सबका विकास ’ का नारा दिया और उसी दिशा में बढ़ती हुई उनकी सरकार काम कर रही है । यह मोदी सरकार की नीतियां ही हैं , जिनके आधार पर कह सकते हैं कि उनिोंने भारत जैसे लोकतंत् में सरकार के कामकाज की पद्धति में आमूलचूल बदलाव किया और जनसरोकार
से जुडी चुनौतियों से निपटने एवं सामान् लोगों की समस्ा को मिटाने में लग गए ।
देश में बड़ी संख्ा में रहने वाली गरीब जनता के कल्ाण से लेकर मोदी सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में जाति-धर्म आधारित कथित विकास को पीछे छोड़कर मोदी सरकार हर जाति , धर्म या वर्ग के लोगों के समग् विकास के लिए बिना किसी भेदभाव के काम कर रही है । प्रधानमंत्ी नरेनद् मोदी कल्ाणकारी योजनाओं के कारण ही 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जाति के लिए आरलक्त 46 सीटें जीती तो अनुसूचित जनजाति के लिए आरलक्त 31 सीटों को हासिल किया । अब एक बार फिर आम चुनाव होने जा रहे हैं । विपक् येन-केन- प्रकारेण , दुष्प्रचार एवं नकारातमक रणनीति से आरलक्त सीटों पर अपने बढ़त बनाने के लिए मैदान में है । देखना यह होगा कि चुनाव परिणाम अबकी बार विपक् को किस रासते पर लेकर जाएंगे । �
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