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प्रधानमंत्ी नरेंद् मोदी वाली केंद् सरकार की जनसरोकार वाली नीतियों एवं योजनाओं का भी साथ मिला है , जिन नीतियों एवं योजनाओं ने गरीब दलित एवं वनवासी समाज की ससथलत्ों में आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम किया है । आरलक्त लोकसभा सीटों को लेकर भाजपा पिछले लमबे समय से विशेष चुनावी तैयारिओं में जुटी हुई है क्ोंकि इन सीटों की एक बड़ी निर्णायक भूमिका है । भाजपा की दोनों वगगों पर पिछले दस वरगों के दौरान पकड़ मजबूत हुई है और यही कारण है कि विपक्ी दल आरलक्त सीटों पर भाजपा की मजबूत पकड़ को तोड़ने के लिए हर संभव यत्न कर रहे हैं । इन वगगों की राजनीति करने वाले क्ेत्ी् दल भी भाजपा को मिली बढ़त के बीच अपने अससततव की लड़ाई लड़ रहे हैं ।
दलित राजनीति की बड़ी नेता मायावती की सभी रणनीतियों को धराशाही करते हुए भाजपा ने पिछले दस वरगों में बसपा के वोट बैंक को इस तरह हासिल किया है कि बसपा शून् पर आ खड़ी हुई है । 2014 के लोकसभा चुनाव
में भाजपा अनुसूचित जाति की 84 में से 40 तो कांग्ेस को मात् सात सीट मिली थी । इसी तरह अनुसूचित जनजाति के लिए आरलक्त 47 में से भाजपा ने 27 पर तो कांग्ेस मात् पांच पर ही जीत हासिल कर पाई थी । 2014 से लेकर 2024 के मध् अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनता ने कांग्ेस सहित उन सभी विपक्ी दलों को आईना दिखाने का काम किया है , जिस जनता को 1947 के बाद सवतनत् भारत में मात् चुनाव जीतने का एक माध्म बनाया गया और उनके हितों की पूर्ति के नाम पर सवलितों को पूरा किया गया । विशव के सबसे बड़े लोकतासनत्क देश भारत में जब भी चुनाव या सत्ा परिवर्तन जैसे बड़े मुद्े का सवाल आता है तो हर राजनीतिक दल सबसे पहले अनुसूचित जाति एवं अनुचित जनजाति के कल्ाण का ही दावा करता हैI सवतंत्ता के उपरांत सत्ा कांग्ेस को मिली और फिर कांग्ेस ने देश की राजनीति को जाति , धर्म और वर्ग के खांचे में बांट दिया ।
कांग्ेस के नेतृतवकर्ताओं के लिए यही सुविधाजनक राजनीति थी और इसके माध्म से कांग्ेस ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग को उसी अंधेरे में रखा , जिस अंधेरे काल में हिनदू समाज विदेशी मुससिम आरिांताओं के आरिमणों के बाद से रह रहा था । विसम्कारी बात यह भी है कि कई वरगों तक देश की जनता को अपने एजेंडे के दम पर धोखा देने वाले कांग्ेस नेताओं ने उस आपातकाल से भी सबका नहीं लिया , जिस आपातकाल ने इंदिरा गांधी की सत्ा को हिला कर रख दिया था । कांग्ेस शासनकाल में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग को " गरीबी हटाओ " का नारा देकर भ्रम में रखा गया , वही धार्मिक आधार पर पक्पात करके उसी " बांटो और राज करो " की नीति अपनायी गई , जो नीति कांग्ेस को विरासत में अंग्ेजों से मिली थीI कांग्ेस नेता के रूप में इंदिरा गांधी की तानाशाही और जनता की आवाज को पुरजोर तरीके से दबाने के कारण देश ने राजनीतिक संकट एवं अससथरता को भी देखा
10 ekpZ 2024