त भी अब बेचैन रहना छोड़ दे उसके ख्यालों में ,
अब वो प रे कमरे को नापती होगी ककसी और के सलए ।।
अब वो घंटो ऑनलाइन दटकती होगी ककसी और के सलए ,
अब वो स्टे टस में सलखती होगी ककसी और के सलए ।
मैं ह ं कक अब भी छत पे खड़ा रहता ह ं हर शाम उसके दीदार को ,
भ ल जाता ह ं कक अब वो छत पे ददखती होगी ककसी और के सलए ।
वो बालो को बेवज़ह सवारती होगी ककसी और के सलए ,
हर रोज करती होगी प जा आरती ककसी और के सलये ।
समलके जो दे खा था ख़्वाब आसशयाने बनाने के सलए ,
अब वो ख्वाबों को जमी पर उतारती होगी ककसी और के सलए ।
है अब वो भोली सी स रत ककसी ओर के सलए ,
ह
अब वो प्यार की म रत ककसी और के सलए ।
त भी बदल लें राज आदत को अपनी जैसे जमाना बदल गया ,
क्युकक है अब वो ज़रूरत ककसी और के सलए ।।