Mai aur Tum मैं और तुम | Page 9

त भी अब बेचैन रहना छोड़ दे उसके ख्यालों में , अब वो प रे कमरे को नापती होगी ककसी और के सलए ।। अब वो घंटो ऑनलाइन दटकती होगी ककसी और के सलए , अब वो स्टे टस में सलखती होगी ककसी और के सलए । मैं ह ं कक अब भी छत पे खड़ा रहता ह ं हर शाम उसके दीदार को , भ ल जाता ह ं कक अब वो छत पे ददखती होगी ककसी और के सलए । वो बालो को बेवज़ह सवारती होगी ककसी और के सलए , हर रोज करती होगी प जा आरती ककसी और के सलये । समलके जो दे खा था ख़्वाब आसशयाने बनाने के सलए , अब वो ख्वाबों को जमी पर उतारती होगी ककसी और के सलए । है अब वो भोली सी स रत ककसी ओर के सलए , ह अब वो प्यार की म रत ककसी और के सलए । त भी बदल लें राज आदत को अपनी जैसे जमाना बदल गया , क्युकक है अब वो ज़रूरत ककसी और के सलए ।।