Mai aur Tum मैं और तुम | Page 8

अब तो य ूँ सशकायतें करने लगे है हमारी , हम लुटेरों के सरदार हो जैसे । ककसी और के लिए अब वो ट टती बबखरती होगी ककसी और के सलए , अब वो सजती संवरती होगी ककसी और के सलए । त है उसके नाम का धागा तक ना तोड़ा कलाई से , कक अब वो माूँग भरती होगी ककसी और के सलए ।। उसके ददल मे आते होंगे ख़्याल ककसी और के सलए , ककसी से करती होगी अब सवाल ककसी और के सलए । त है कक बेवज़ह इतरा रहा है पसन्द पे अपनी अबतक , अब वो लगाती होगी बबंदी लाल ककसी और के सलए ।। अब वो सीदढ़यों से दौड़कर उतरती होगी ककसी और के सलए , अपने हाथों में अपने मेहंदी उकेरती होगी ककसी और के सलए । त भी अब उसके गली से होके गुजरना छोड़ दे राज , अब वो दरवाजे पे इंतजार करती होगी ककसी और के सलए ।। अब ख्वाबों के संग भागती होगी ककसी और के सलए , अब वो रात भर जागती होगी ककसी और के सलए ।