अब तो य ूँ सशकायतें करने लगे है हमारी ,
हम लुटेरों के सरदार हो जैसे ।
ककसी और के लिए
अब वो ट टती बबखरती होगी ककसी और के सलए ,
अब वो सजती संवरती होगी ककसी और के सलए ।
त है उसके नाम का धागा तक ना तोड़ा कलाई से ,
कक अब वो माूँग भरती होगी ककसी और के सलए ।।
उसके ददल मे आते होंगे ख़्याल ककसी और के सलए ,
ककसी से करती होगी अब सवाल ककसी और के सलए ।
त है कक बेवज़ह इतरा रहा है पसन्द पे अपनी अबतक ,
अब वो लगाती होगी बबंदी लाल ककसी और के सलए ।।
अब वो सीदढ़यों से दौड़कर उतरती होगी ककसी और के सलए ,
अपने हाथों में अपने मेहंदी उकेरती होगी ककसी और के सलए ।
त भी अब उसके गली से होके गुजरना छोड़ दे राज ,
अब वो दरवाजे पे इंतजार करती होगी ककसी और के सलए ।।
अब ख्वाबों के संग भागती होगी ककसी और के सलए ,
अब वो रात भर जागती होगी ककसी और के सलए ।