अब तुम ऐस करती होगी
अब
तो
तुम
उस
हर
बात
उसके कंधे पर सर रखके सो
बताती
जाती
होगी ,
होगी ।
लड़ लेती होगी हर छोटी-छोटी बात पर उससे ,
अब
तो
बेवज़ह
उसपर
हक़ जताती होगी।
अब तुम उसे दे खने के सलए छत पर आती होगी ,
अब तुम अपने हाथों से उसे खखलाती होगी ।
अब वो बन गया त म्
हारे हर ख श
ी की वज़ह,
अब तो तुम उसे दे खकर ख़ुश हो जाती होगी ।
हर बात पर दादी की तरह उसे समझाती होगी ,
नहीं समझने पर तुम उसे डाट
लगाती होगी
।
जब भी समलता होगा महज़ ज द
ाई के बाद ,
अब तो त म
उससे दौड़कर सलपट जाती होगी ।
उसके साथ होने पर सुक न वाली नींद आती होगी,
उसके सो जाने पर उसके बालों को सहलाती होगी।
कल
गल
तक
का
जजस
वो
प्यार
दाग़
की
अब
तनशानी
उसस
बताती
थी ,
छुपाती होगी ।