Mai aur Tum मैं और तुम | Page 4

त म प छो हर गली हर रास्ते स मेरा पता , तुम्हारी हर कोसशस के बाद भी कुछ पता ना चले । तो त म ककसे स न ाओगे अपने बचपन की कहानी ? तो तुम ककसे ददखाओगे अपने पहले प्यार की तनशानी ? किर तुम ककससे हर छोटी-छोटी बात पर किर त म लड़ोगे ? कॉलेज के बाद ककसका इंतजार करोग ? सब सच जानकर भी ककससे तुम ऐसे अंजान बनोगे ? किर त म ककसकी तनशानी ककसकी पहचान बनोगे ? क्या तुम मुझे मेरी हर कववता में खोजा करोगे ? क्या तुम सालो तक सबसे मेरे बारे में प छा करोगे ? क्या तुम मेरी माूँ को हमारी कहानी बताओगे ? जो हमारे सपने है उसे कैसे और कहाूँ दफ़नाओगे ? क्या त म मेरे हर राज को हमेशा राज बनाकर रखोगे ? तुम उजाले में जजओगी या ददन को रात बनाकर रखोगे ? क्या त म मेरी डायरी पढ़कर मेरे सच का पता लगाओगी ? गर कोई हमारे ररश्ते के बारे में प छे गा तो उसे क्या बताओगी ?