ग ाँव आयी हो
त गांव आयी है रक़ीब के साथ सब मेरे यार बताते है ,
तुझे भाभी कहकर अब भी म झ
े मेरे यार चचढ़ाते है ।
महकफ़लो में जब खाली होती है दो चार बोतलें आज भी,
कहानी हमारी तुम्हारी ना जाने ककतनी बार दोहराते है ।
तेरा बदला रूप तो मैंने किर पीछे मुड़कर दे खा नहीं ,
पर त पहले से कमाल लगती है मेरे सब यार बताते है ।
प्यार करने की ज़ुरात जब भी कोई करता है मेरे गाूँव मे ,
कहानी हमारी उस मजन को सब समलकर सौ बार सुनाते है ।
क्या करूूँ मैं तेरे नासमझ घरवालो का त ही बता दे ,
रास्ते अलग है पर जानब झ कर वो बार टकराते है ।
सब जानते है ककसका ककसने काटा है इस कहानी में ,
किर भी बेवज़ह सब म झ
से ऐसा वैसा सवाल उठाते है ।
ये मत सोचना कक यादें तेरी अब दस्तक नहीं दे ती ,
टाइप करते है तेरे नाम पे मैसेज और हर बार समटाते है ।
जब कभी-कभी बेवक़्त याद आने लगती ह
त म्
हारी ,
तेरी सलखी डायरी को सीने से लगाकर सो जाते है ।
मेरी कह नी
एक कहानी मैं सुनाऊंगा लेककन कववता की तरह ,
वो मुझमे राम दे खती थी खुद को समझती थी सीता की तरह ।
तब हम बहुत छोटे थे बहुत नादान हुआ करते थे ,