Mai aur Tum मैं और तुम | Page 2

ग ाँव आयी हो त गांव आयी है रक़ीब के साथ सब मेरे यार बताते है , तुझे भाभी कहकर अब भी म झ े मेरे यार चचढ़ाते है । महकफ़लो में जब खाली होती है दो चार बोतलें आज भी, कहानी हमारी तुम्हारी ना जाने ककतनी बार दोहराते है । तेरा बदला रूप तो मैंने किर पीछे मुड़कर दे खा नहीं , पर त पहले से कमाल लगती है मेरे सब यार बताते है । प्यार करने की ज़ुरात जब भी कोई करता है मेरे गाूँव मे , कहानी हमारी उस मजन को सब समलकर सौ बार सुनाते है । क्या करूूँ मैं तेरे नासमझ घरवालो का त ही बता दे , रास्ते अलग है पर जानब झ कर वो बार टकराते है । सब जानते है ककसका ककसने काटा है इस कहानी में , किर भी बेवज़ह सब म झ से ऐसा वैसा सवाल उठाते है । ये मत सोचना कक यादें तेरी अब दस्तक नहीं दे ती , टाइप करते है तेरे नाम पे मैसेज और हर बार समटाते है । जब कभी-कभी बेवक़्त याद आने लगती ह त म् हारी , तेरी सलखी डायरी को सीने से लगाकर सो जाते है । मेरी कह नी एक कहानी मैं सुनाऊंगा लेककन कववता की तरह , वो मुझमे राम दे खती थी खुद को समझती थी सीता की तरह । तब हम बहुत छोटे थे बहुत नादान हुआ करते थे ,