मैं और तुम
मैं ह ूँ शहर का एक आवारा सा लड़का ,
और तुम ज़रा सी दाग़ से डर जाने वाली लड़की हो ।
मैं भटकता ह ूँ दे र रात तक चौराहों पर ,
और तुम अंधेरा होने से पहले घर जाने वाली लड़की हो।
मैं खटकने लगा ह ूँ यहाूँ आूँखों मे कांटा बनकर ,
और तुम हर ददल मे घर कर जाने वाली लड़की हो ।
मुझे पसंद बहुत है परीयों की कहानी ,
और त म
बबलकुल कहानी वाली लड़की हो ।
मैं चाय का हर मौसम दीवाना लड़का ह ूँ ,
और तुम ककचन से फ़रार हो जाने वाली लड़की हो ।
मैं ठहरा पब्ज़ी में खोया हुआ एक ससपाही ,
और तुम ककताबों से ददल लगाने वाली लड़की हो ।
मैं ठहरा किल्मी गाने गाना वाला एक लड़का ,
और त म
एक सांस में द ग
ाा चालीसा पढ़ जाने वाली लड़की हो ।
मैं ठहरा एकदम कट्टर ववचारों वाला एक भक्त ,
और तुम मंददर जाकर ईद मनाने वाली लड़की हो ।
मुझे होश नहीं रहता है खुद के खाने - पीने का ,
और तुम भ खों को खखलाने वाली लड़की हो ।
हड्डी मुगाा खाने वाला एक लड़का मैं ,
तुम शुद्ध पंडडत घराने वाली लड़की हो ।
मैं ऐसा लड़का ह ूँ मैं वैसा लड़का ह ूँ ,
पर मुझे जैसी चादहए तुम एकदम वैसी लड़की हो।