Mai aur Tum मैं और तुम | Page 19

प्रेम कह नी सालो से चली आ रही एक प्रेम कहानी को बीच मे दम तोड़ना पड़ा । इस कहानी में भी जातत और समाज के नाम पर साथ छोड़ना पड़ा । साथ िेरो ने नाम पर सात जन्म के सलए सात वादे करने पड़े , उसके बदले सालो से ककया हर एक वादा तोड़ना पड़ा । ख़्वाब था पररंदों का कक आखख़री वक़्त तक साथ तनभाएंगे , रस्मों ररवाज़ो के नाम पर राधा को कृष्ण का साथ छोड़ना पड़ा । माल म नही मजब र समाज था या किर मजब र उसका बाप था , जो कक अपनी बेटी का ररश्ता ककसी अधेड़ से जोड़ना पड़ा । हि जत न जरूरी है ? हां तुम मेरे हो पर क्या हर दफ़ा हक़ जताना जरूरी है ? है प्यार तुमसे बहुत ये क्या सबको बताना जरूरी है ? है पसन्द सबको चाूँद इस द त ु नया मे मगर , जो चीज पसन्द आ जाये क्या उसे घर लाना जरूरी है ? जानते हो ना कक कुछ सलखा ककस्मत में भी होता है , पर क्या इसके सलए एक-द ज े पर इल्ज़ाम लगाना जरूरी ह ककसको माल म कक रास्ता कब मुड़ जाए कही से , पर क्या ऐसे हालातो में मतलबी हो जाना जरूरी है ? सलख ददया ख़ुद को उम्र भर के सलए नाम तेरे , ?