प्रेम कह नी
सालो से चली आ रही एक प्रेम कहानी को बीच मे दम तोड़ना पड़ा ।
इस कहानी में भी जातत और समाज के नाम पर साथ छोड़ना पड़ा ।
साथ िेरो ने नाम पर सात जन्म के सलए सात वादे करने पड़े ,
उसके बदले सालो से ककया हर एक वादा तोड़ना पड़ा ।
ख़्वाब था पररंदों का कक आखख़री वक़्त तक साथ तनभाएंगे ,
रस्मों ररवाज़ो के नाम पर राधा को कृष्ण का साथ छोड़ना पड़ा ।
माल म नही मजब र समाज था या किर मजब र उसका बाप था ,
जो कक अपनी बेटी का ररश्ता ककसी अधेड़ से जोड़ना पड़ा ।
हि जत न जरूरी है ?
हां तुम मेरे हो पर क्या हर दफ़ा हक़ जताना जरूरी है ?
है प्यार तुमसे बहुत ये क्या सबको बताना जरूरी है ?
है पसन्द सबको चाूँद इस द त ु नया मे मगर ,
जो चीज पसन्द आ जाये क्या उसे घर लाना जरूरी है ?
जानते हो ना कक कुछ सलखा ककस्मत में भी होता है ,
पर क्या इसके सलए एक-द ज
े पर इल्ज़ाम लगाना जरूरी ह
ककसको माल म कक रास्ता कब मुड़ जाए कही से ,
पर क्या ऐसे हालातो में मतलबी हो जाना जरूरी है ?
सलख ददया ख़ुद को उम्र भर के सलए नाम तेरे ,
?