बस कोई च हहए
जरूरी नही कक कोई चादहए उम्र भर साथ रहने के सलए ,
उन्हें तो बस कोई चादहए िुरसत में बात करने के सलए ।
कोई तलब ना थी जब तलक था बसेरा आपके शहर में ,
अब आते है बनके मुसाकफ़र बस एक मुलाक़ात करने के सलए ।
तुम हो कक नाराज़गी में ररश्ते जोड़ दे ते हो हर ककसी के साथ ,
पर म झ
े ज़रूरत नही ककसी और की ददन से रात करने के सलए।
माना कक कुछ कक़रदार जुड़े है मेरे ख़ुशनुमा अतीत से ,
पर वो ककस्से कहातनयां कािी नही थे मुझे बबााद करने के सलए ।
ददन भर की उलझनों से जब बख़ बी स ल
झ जाया करो ,
कुछ पल मेरे नाम भी कर ददया करो म झे आबाद करने के सलए ।
मुहब्बत को तुम मेरी नही समझोगी जो कक है ही नहीं ,
म झ
े तो बस कोई चादहए था उससे ज्यादा याद करने के सलए ।
मेर सपन
आज एक म द्
दत बाद उनसे किर म ल
ाकात हुई ,
साथ कोई अपना था इससलए ईशारों में बात हुई ।
वो चेहरे से लगी थोड़ी है रान -परे शान ,
मैंने प छा क्य ूँ हो परे शान मेरी जान ?
वो बोली ना ह ूँ मैं है रान-परे शान ,
और ना ही ह ूँ अब मैं तेरी जान ।
बात स न
लो खोलकर अपने कान ,