Mai aur Tum मैं और तुम | Page 17

बस कोई च हहए जरूरी नही कक कोई चादहए उम्र भर साथ रहने के सलए , उन्हें तो बस कोई चादहए िुरसत में बात करने के सलए । कोई तलब ना थी जब तलक था बसेरा आपके शहर में , अब आते है बनके मुसाकफ़र बस एक मुलाक़ात करने के सलए । तुम हो कक नाराज़गी में ररश्ते जोड़ दे ते हो हर ककसी के साथ , पर म झ े ज़रूरत नही ककसी और की ददन से रात करने के सलए। माना कक कुछ कक़रदार जुड़े है मेरे ख़ुशनुमा अतीत से , पर वो ककस्से कहातनयां कािी नही थे मुझे बबााद करने के सलए । ददन भर की उलझनों से जब बख़ बी स ल झ जाया करो , कुछ पल मेरे नाम भी कर ददया करो म झे आबाद करने के सलए । मुहब्बत को तुम मेरी नही समझोगी जो कक है ही नहीं , म झ े तो बस कोई चादहए था उससे ज्यादा याद करने के सलए । मेर सपन आज एक म द् दत बाद उनसे किर म ल ाकात हुई , साथ कोई अपना था इससलए ईशारों में बात हुई । वो चेहरे से लगी थोड़ी है रान -परे शान , मैंने प छा क्य ूँ हो परे शान मेरी जान ? वो बोली ना ह ूँ मैं है रान-परे शान , और ना ही ह ूँ अब मैं तेरी जान । बात स न लो खोलकर अपने कान ,