माूँ सो जाता ह ं समय पे जागकर प री रात नही करता ,
और हाूँ अब मैं उस नकचढ़ी से बात नही करता ।
गिे कब िग ओगी म झ
मेरे ज़ातनब एक बात बताओगी मुझे ?
अपना पासवडा कब बनाओगी मुझे ?
कब तक गैलेरी में पड़ी रहे गी तस्वीर मेरी ?
अपने स्टे टस में कब सजाओगी मुझे ?
नाराजगी ख़त्म हुई क्या त म्
हारी ?
ब्लॉक से कब हटाओगी मुझे ?
कब तक हाथ समलाने का रस्म चलेगा ?
अपने गले कब लगाओगी म झ
े ?
कब तक य कॉलेज के बहाने समलें गे ,
अपने घर कब बुलाओगी मुझे ?
सुना है तुम चाय अच्छा बना लेती हो ,
अपने हाथ की चाय कब वपलाओगी मुझे ?
तेरे शहर का मेला बड़े चचे में रहता है ,
अपने संग मेला कब ददखाओगी मुझे ?
सुना है तुम्हारी माूँ खीर अच्छा बनाती है ,
उनके हाथ का खीर कब खखलाओगी मुझे ?
त म्
हारे भैया की रजामंदी में ही सबकी हाूँ है ,
तो बताओ अपने भैया से कब समलवाओगी मुझे ?