Mai aur Tum मैं और तुम | Page 16

माूँ सो जाता ह ं समय पे जागकर प री रात नही करता , और हाूँ अब मैं उस नकचढ़ी से बात नही करता । गिे कब िग ओगी म झ मेरे ज़ातनब एक बात बताओगी मुझे ? अपना पासवडा कब बनाओगी मुझे ? कब तक गैलेरी में पड़ी रहे गी तस्वीर मेरी ? अपने स्टे टस में कब सजाओगी मुझे ? नाराजगी ख़त्म हुई क्या त म् हारी ? ब्लॉक से कब हटाओगी मुझे ? कब तक हाथ समलाने का रस्म चलेगा ? अपने गले कब लगाओगी म झ े ? कब तक य कॉलेज के बहाने समलें गे , अपने घर कब बुलाओगी मुझे ? सुना है तुम चाय अच्छा बना लेती हो , अपने हाथ की चाय कब वपलाओगी मुझे ? तेरे शहर का मेला बड़े चचे में रहता है , अपने संग मेला कब ददखाओगी मुझे ? सुना है तुम्हारी माूँ खीर अच्छा बनाती है , उनके हाथ का खीर कब खखलाओगी मुझे ? त म् हारे भैया की रजामंदी में ही सबकी हाूँ है , तो बताओ अपने भैया से कब समलवाओगी मुझे ?