Mai aur Tum मैं और तुम | Page 14

वो सच मे पागल होते है । अपनो के अच्छे कल के सलए , जो अपना आज डुबो दे ते है । वो सच मे पागल होते है । मुसीबत लगता है कभी-कभी बड़ा बेटा होना, उमर से ज्यादा जो बोझ ढोते है । वो सच मे पागल होते है । बचपन से ख़्वाब संजोया हो जजस लड़की का , आखख़र में भाई बनकर उसका डोली ढोते है । वो सच मे पागल होते है । िोन चलाने वाली उम्र में , जो ग़ासलब और फ़राज के ग़जलों संग सोते है । वो सच मे पागल होते है । जो हूँसते - हूँसाते रहते है महकफ़लो में सबको , बंद कमरों में वो छुप-छुपकर रोते है । वो सच मे पागल होते है । म मेरी नादातनयों की वजह से पापा ने मां को डांट लगाया था , बड़ी दहम्मत करके माूँ ने उस ददन मुझे फ़ोन समलाया था ।