Mai aur Tum मैं और तुम | Page 13

अब द ध लेने के बहाने रोज त म् हार घर मैं नही आऊंगा । सुनो अगर समलने का ददल करे और मौका भी समले तो , मेरे बगीचे में आ जाना प र ु ाने खंडहर के उधर मैं नही जाऊंगा । जजतनी बातें कहनी हो सलखकर सभजवा दे ना तुम छोटी से , म झ े काम है गांव में सो इस बारी त म् हारे साथ शहर मैं नही आऊूँगा । और हाूँ ये आखख़री मताबा है जो आ रहा ह ूँ तुम्हारे सलये , किर जब त म गाूँव आओगी तो गाूँव मे नजर मैं नही आऊंगा । वो सच मे प गि होते ह जाग जाए जो चचडड़यों के जागने से पहले , और तनशाचरों के सोने के बाद जो सोते है । वो सच मे पागल होते है । सबका ताना-बाना सुनकर भी , खुले होठों से मुस्कुरा दे ते है । वो सच मे पागल होते है । नशाख़ोरी पर भाषण सलखके अव्वल आने वाले , खुद नशे के आदी हो जाते है ।