LOK JANWAD (Trial Version) Oct, 2014 | Page 3

खास बात यह है क 105 वष क ‘ज ोजहद’ (िजसक कहानी मेरे साथ आप भी ज र ढू ं ढ़) क बाद 18 फरवर 1997 को इस मृ त- तंभ े े को ‘ऐ तहा सक थल क रा क यह एकमा क य पंजी’ म अनुसू चत कया गया एवं इसे ‘रा तान है िजसे यह दजा अब हा सल है। य ऐ तहा सक थल’ का दजा हा सल हु आ। यह भी गौरतलब है इस मृ त- तंभ क जो त वीर साथ म द गई है उसम नीचे आप गौर करगे। नीचे वह पंि त उकर गई ह जो, फाँसी दये जाने क पहले े े पाईस क मु ख से भ व य का उ घोष बनकर नकल थी, “वह समय आयेगा जब हमार खामोशी हमार इन आवाज से यादा ताकतवर ह गी े िज हे तु म आज घ ट रहे हो”। आज अमर का का एक बड़ा जनमत मानता है क उन दन क घटनाय मजदूर को दबाने क लये मा लक े वारा रची गई सािजश क े तहत घ टत हु ई थी और जो सु नवाई हु ई थी अदालत म वह अमर क इ तहास म पाये जाने वाले, याय को कचले जाने क गंभीरतम मसाल म से ु एक है। पर कसे आया जनमत म यह बदलाव? मजदूर क संघष से। जनवाद ताकत क, अमर क सा ा यवाद क खलाफ खु द अमर का म ह ै े े े उठती आवाज क लगातार ह त ेप से। े आईये, क तान क