June 2025_DA | Page 36

विशलेषण

्वेदों के सभरी छात्र जतानते हैं क्क ्वेदों में घोड़ों कता एक मजबूत स्थान है । हमें ्वेदों में घोड़ों के अनक्गनत संदर्भ क्मलते हैं । और यह ज्ञतात है क्क आर्कक्िक षिेत् में घोड़े नहीं पताए जताते थे । इसक्लए इस बतात करी कोई संभता्वनता नहीं है क्क ्वेदों करी रचनता आर्कक्िक षिेत् में हतुई हो । यक्द आप आर्कक्िक होम थ्योररी कता क््वसतृत ज्वताब चताहते हैं, तो डलॉ. परी. ्वरी. ्वत्णक द्वारता क्लक्खत“ ्वेदों में ्वैज्ञताक्नक ज्ञतान” पढ़ें ।
आययों ने भतारत पर आक्रमण क्कयता? आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत को बढ़ता्वता देने के परीछे मकसद यह सताक्बत करनता है क्क आययों ने भतारत पर आक्रमण क्कयता । इस बतारे में डता. आंबेडकर ने कहता क्क जहतां तक ऋग्वेद कता स्वताल है, आययों द्वारता भतारत पर आक्रमण करने कता कोई भरी प्रमताण भतारत के बताहर से नहीं क्मलतता । आययों ने भतारत पर कभरी आक्रमण नहीं क्कयता, इस तर्क को पतुख्ता करने के क्लए डता. आंबेडकर ने प्रो. डरी. एस. क्त््वेद को उद्धृत क्कयता, क्जन्होंने क्लखता क्क नक्दयों को‘ मेररी गंगता, मेररी यमतुनता, मेररी सरस्वतरी’ इतयताक्द कहकर संबोक्धत क्कयता जतातता है । कोई भरी क््वदेशरी वयसकत क्कसरी नदरी को इतने पररक्चत और प्यारे शबदों में संबोक्धत नहीं करेगता, जब तक क्क उसके सताथ लंबे समय तक रहने के कतारण उसके मन में उसके प्रक्त कोई भता्वनता न क््वकक्सत हो जताए । यह एक उललेखनरीय क्बंदतु है! यक्द आययों ने भतारत पर आक्रमण क्कयता होतता तो ्वह“ गंगता, यमतुनता, सरस्वतरी” को“ मेररी गंगता, मेररी यमतुनता, मेररी सरस्वतरी” कयों कहते? क्जस तरह से उन्होंने इन नक्दयों को संबोक्धत क्कयता, उससे पतता चलतता है क्क ्वह उनसे भता्वनतातमक रूप से जुड़े हतुए थे । और ऐसता जतुड़ता्व क्कसरी आक्रमणकताररी के क्लए पूररी तरह असंभ्व है ।
दास और दस्यु कौन थे?
जो लोग आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत के बतारे में पढ़ चतुके हैं, ्वे जतानते हैं क्क इसकता मूल तर्क यह है क्क दतास यता दस्यु भतारत के मूल क्न्वतासरी थे, क्जन पर आययों ने आक्रमण क्कयता, उन्हें हरतायता और क्फर भतारत पर क््वजय प्रतापत करी । डता. आंबेडकर ने इस कथन को सपषि तथ्यों और
तकयों के सताथ पूररी तरह से खतारिज कर क्दयता । जो लोग कहते हैं क्क आययों ने भतारत पर क््वजय प्रतापत करी और दस्युओं पर आक्रमण क्कयता, ्वह ऐसता इस आधतार पर कहते हैं क्क ्वेदों( क््वशेष रूप से ऋग्वेद) में कई शलोक हैं जो बतताते हैं क्क आययों और दस्युओं के बरीच लगताततार लड़ाई चल रहरी थरी । लेक्कन क्या यह जतानकताररी क्क दो समूहों के बरीच लगताततार संघर्ष चल रहता थता, यह क्नषकष्ण क्नकतालने के क्लए पयता्णपत है क्क आक्रमण हतुआ थता? क्बलकुल नहीं!
्वतास्तव में, डता. आंबेडकर ने क्लखता है क्क यह दोनों के बरीच क्छिपतुि दंगों करी घटनता को दशता्ण सकतता है । यह निश्चित रूप से क््वजय यता अधरीनतता कता सबूत नहीं है । इसक्लए डता. आंबेडकर ने यह बहतुत सपषि कर क्दयता क्क“ लड़ाई के ऐसे उदताहरण” हमें क्छिपतुि दंगों को क्दखता सकते हैं लेक्कन यह क्कसरी क््वजय कता सबूत नहीं है । क्फर डता. आंबेडकर ने ऋग्वेद के चतार संदभयों कता ह्वतालता देते हतुए बहतुत हरी मूलय्वतान जतानकताररी प्रदतान करी, जो दशता्णतरी है क्क संघषयों
के बता्वजूद, आययों और दस्युओं ने कई आपसरी समझलौते क्कए और आम दतुशमनों के क्खलताफ एकजतुि रहे । डता. आंबेडकर द्वारता उद्धृत ऋग्वेद के ्वह चतार संदर्भ हैं: ऋग्वेद 6.33.3, ऋग्वेद 7.83.1, ऋग्वेद 8.51.9 और ऋग्वेद 10.102.3 । क्फर डता. आंबेडकर ने एक ठोस सबूत क्दयता जो सपषि करतता है क्क आययों और दस्युओं के बरीच लड़ाई इसक्लए नहीं हतुई कयोंक्क ्वह अलग-अलग जताक्तयों से थे बसलक इसक्लए क्क उनके अलग-अलग धर्म थे । डता. आंबेडकर ने ऋग्वेद के कई शलोक उद्धृत क्कए जो उनके रुख कता समर्थन करते हैं ।
डता. आंबेडकर ने ऋग्वेद से 3 शलोक उद्धृत क्कए जो सपषि करते हैं क्क‘ आययों’ और‘ दस्युओं’ के बरीच कता अंतर नस्लीय नहीं थता ।
ऋग्वेद, vi. 22.10.—“ हे ्वज्र, ततुमने अपनरी शसकत से दतासों को आर्य बनतायता है, बतुरे लोगों को अचछे लोगों में बदलता है । हमें भरी ्वहरी शसकत दो तताक्क हम उससे अपने शत्रुओं पर क््वजय प्रतापत कर सकें ।”
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