June 2025_DA | Page 37

ऋग्वेद, x. 49.3,( इंद्र कहते हैं).—“ मैंने दस्युओं को आर्य करी उपताक्ध से ्वंक्चत कर क्दयता है ।”
ऋग्वेद, i. 151.8—“ हे इंद्र, पतता लगताओ क्क कलौन आर्य है और कलौन दस्यु है और उन्हें अलग करो ।”
इन तरीन शलोकों को उद्धृत करने के बताद, डता. आंबेडकर ने यह क्लखकर इस खंड कता समतापन क्कयता क्क यह शलोक क्या संकेत देते हैं? ्वह संकेत देते हैं क्क एक ओर आययों और दूसररी ओर दतासों और दस्युओं के बरीच कता अंतर रंग यता शताररीरिक बनता्वि कता नस्लीय भेद नहीं थता । यहरी कतारण है क्क दतास यता दस्यु आर्य बन सकते थे । इंद्र को उन्हें आर्य से अलग करने कता कताम सौंपता गयता थता ।
आर्य गोरे थे और दस्यु काले थे?
आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत कता समर्थन करने ्वतालों के पतास सबूतों कता अभता्व है, इसक्लए ्वह
इस तरह करी क्िपपणरी करते हैं,‘ आर्य गोरे थे और दस्यु कताले थे’। लेक्कन डता. आंबेडकर ने ्वेदों के उद्धरणों को उद्धृत करके इन मूर्खततापूर्ण तकयों को आसतानरी से खतारिज कर क्दयता । डता. आंबेडकर ने ्वेदों से तरीन शलोक उद्धृत क्कए [ 12 ] जो सताक्बत करते हैं क्क आययों में रंग के प्रक्त कोई पू्वता्णग्ह नहीं थता ।
उन्होंने ऋग्वेद 1.117.8 कता ह्वतालता क्दयता क्जसमें अश्विन( ्वैक्दक दे्वतताओं) द्वारता एक कताले लड़के और गोररी लड़करी के बरीच क््व्वताह करी व्यवस्था करने करी कहतानरी बतताई गई है । इससे पतता चलतता है क्क आर्य न के्वल गोरे थे बसलक कताले भरी थे ।
उन्होंने ऋग्वेद 1.117.5 कता ह्वतालता क्दयता क्जसमें एक मक्हलता कता रंग सतुनहरता बततायता गयता है ।
क्फर उन्होंने ऋग्वेद 2.3.9 कता ह्वतालता क्दयता जहतां आर्य दे्वतताओं से उन्हें तनरी( लताल भूरे रंग) रंग कता पुत्र देने कता आशरी्वता्णद मतांग रहे हैं ।
अंत में क्िपपणरी करी गई क्क यह उदताहरण क्दखताते हैं क्क ्वैक्दक आययों में रंग के प्रक्त कोई पू्वता्णग्ह नहीं थता । ्वह ऐसता कैसे कर सकते थे? ्वैक्दक आर्य एक रंग के नहीं थे । उनकता रंग अलग-अलग थता; कुछ ततांबे के रंग के थे, कुछ गोरे और कुछ कताले । दशरथ के पुत्र रताम को श्यामता अथता्णत श्याम ्वण्ण ्वतालता बततायता गयता है, इसरी प्रकतार कृषण भरी यदतुओं के ्वंशज हैं, जो एक अन्य आर्य ्वंश है । ऋग्वेद के अनेक मंत्ों के रचक्यतता ऋक्ष दरीघ्णतमस यक्द अपने रंग के आधतार पर उनकता नताम रखता गयता है तो ्वह श्याम ्वण्ण के हरी रहे होंगे । कण्व एक बहतुत हरी प्रतिष्ठित आर्य ऋक्ष हैं । लेक्कन ऋग्वेद में क्दए गए ्वण्णन के अनतुसतार-x. 31.11-्वह श्याम ्वण्ण के थे । आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत कता समर्थन करने ्वतालों के तकयों को खतारिज करने के बताद, डता. आंबेडकर ने कहता क्क पसशचमरी लेखकों द्वारता सथताक्पत आर्य जताक्त कता क्सद्धतांत हर क्बंदतु पर धरताशतायरी हो जतातता है, यह कहने करी आ्वशयकतता नहीं है । उन्होंने आगे कहता क्क सबसे पहले, क्सद्धतांत के्वल सतुखद मतान्यतताओं और ऐसरी मतान्यतताओं के आधतार पर
अनतुमतानों पर आधतारित है । दूसरे स्थान पर, क्सद्धतांत ्वैज्ञताक्नक जतांच कता एक क््वकृक्त है । इसे तथ्यों से क््वकक्सत होने करी अनतुमक्त नहीं है । इसके क््वपररीत, क्सद्धतांत पहले से हरी बनता हतुआ है और इसे सताक्बत करने के क्लए तथ्यों कता चयन क्कयता जतातता है । आर्यन जताक्त कता क्सद्धतांत सिर्फ़ एक धतारणता है और इससे ज़़्यादता कुछ नहीं ।
उन्होंने आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत के क्खलाफ़ अपनता गतुस्सा यह कहकर वयकत क्कयता क्क आर्यन जताक्त कता क्सद्धतांत इतनता बेततुकता है क्क इसे बहतुत पहले हरी खतम हो जतानता चताक्हए थता । डता. आंबेडकर ने आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत कता आक््वष्कार करने ्वताले लोगों के क्खलाफ़ क्फर से एक अच्छी बतात कहरी । आर्यन जताक्त के क्सद्धतांत के प्र्वत्णक अपने मतामले को सताक्बत करने के क्लए इतने उत्सुक हैं क्क उन्हें यह देखने कता कोई धैर्य नहीं है क्क ्वह खतुद को क्कस बेततुकरी स्थिति में डतालते हैं । ्वह जो सताक्बत करनता चताहते हैं उसे सताक्बत करने के क्लए एक क्मशन पर क्नकल पड़ते हैं और ्वेदों से ऐसे सबूत चतुनने में संकोच नहीं करते जो उन्हें लगतता है क्क उनके क्लए अच्छा है । क्नषकष्ण यह ्वतास्तव में बततातता है क्क कुछ लोग हैं जो डता. आंबेडकर के अनतुयतायरी होने कता दता्वता करते हैं और सताथ हरी, ्वह सिर्फ़ रताजनरीक्तक और सतामताक्जक ्वच्णस्व के कतारण आर्यन आक्रमण क्सद्धतांत कता समर्थन करते हैं । ्वह नताम के क्लए डता. आंबेडकर के अनतुयतायरी लगते हैं, कयोंक्क ्वह अपने एजेंडे के अनतुकूल होने पर अंबेडकर करी क््वचतारधतारता के क्खलाफ़ आसतानरी से जता सकते हैं । मैं तो उनके बहतुत से क््वश्वतासों को नहीं मतानतता और इसक्लए, उनके क््वश्वतास मतुझे बतांधते नहीं हैं । लेक्कन जो लोग उनके कट्टर अनतुयतायरी होने कता दता्वता करते हैं, उनके क्लए शतायद क््वश्वतास में इस द्ंद् को तर्कसंगत बनतानता चताक्हए । शतायद उनके शिक्षकों को देश करी एकतता में दरतार पैदता करने से पहले प्रताथक्मकतता देनरी चताक्हए ।
( सभी संदर्भ‘ शूद्र कौन थे?’ पुस्तक से लिए गए हैं ।)
twu 2025 37