June 2025_DA | Page 32

वयक्ततव

करी गई है । इन दो क््वचतारों को मूल अक्धकतारों के अध्याय में शताक्मल करके इनके महत्व को रेखतांक्कत भरी क्कयता गयता है । लेक्कन इन दोनों से महत्वपूर्ण यता बरताबर महत्वपूर्ण है बंधतुत्व कता क््वचतार । क्या कोई कतानून यता संक््वधतान दो यता अक्धक लोगों को भताईचतारे के सताथ रहनता क्सखता सकतता है? क्या कोई कतानून मजबूर कर सकतता है क्क हम दूसरे नतागरिकों के सतुख और दतुख में सताझरीदतार बनें और सताझता सपने देखें? क्या इस देश में दक्लत उतपरीड़न पर पूरता देश दतुखरी होतता है? क्या आक्द्वताक्सयों करी जमरीन कता जबरन अधिग्रहण रताषट्ररीय क्चंतता कता कतारण हैं? दतुख के षिणों में अगर नतागरिकों में सताझतापन नहीं है, तो जमरीन के एक टुकड़े पर बसे होने और एक झंडे को क्जंदताबताद कहने के बता्वजूद हम लोगों कता एक राष्ट्र बननता अभरी बताकरी है । राष्ट्र बनने के क्लए यह भरी आ्वशयक है क्क हम अतरीत करी कड़्वताहट को भूलनता सरीखें । अमूमन क्कसरी भरी बड़े राष्ट्र के क्नमता्णण के क्रम में कई अक्प्रय घटनताएं होतरी हैं, क्जनमें कई करी शकल क्हंसक होतरी है और ्वह स्मृतियतां लोगों में सताझतापन पैदता करने में बताधक होतरी हैं ।
इसक्लए जरूररी है क्क खतासकर क््वजेतता समूह, उन घटनताओं को भूलने करी कोक्शश करे । राष्ट्र जब लोगों करी सतामूक्हक चेतनता में है, तभरी राष्ट्र है । बताबता सताहब चताहते थे क्क भतारत के लोग, तमताम अन्य पहचतानों से ऊपर, खतुद को क्सफ्क भतारतरीय मतानें. रताषट्ररीय एकतता ऐसे सथताक्पत होगरी । ्वत्णमतान क््व्वतादों के आलोक में, बताबता सताहब के राष्ट्र संबंधरी क््वचतारों को दोबतारता पढ़े जताने और आतमसतात क्कए जताने करी जरूरत है I
बताबता सताहब ने कहता थता क्क अनूठे हैं भतारत के राष्ट्र्वतादरी और देशभकत भतारत एक अनूठता देश है । इसके राष्ट्र्वतादरी ए्वं देशभकत भरी अनूठे हैं । भतारत में एक देशभकत और राष्ट्रभकत ्वह वयसकत है जो अपने समतान अन्य लोगों के सताथ मनतुषय से कमतर व्यवहतार होते हतुए अपनरी खतुलरी आंखों से देखतता है, लेक्कन उसकरी मतान्वतता क््वरोध नहीं करतरी । उसे मतालूम है क्क उन लोगों के अक्धकतार अकतारण हरी छरीने जता रहे हैं, लेक्कन उसमें मदद करने करी सभय सं्वेदनता नहीं जगतरी ।
उसे पतता है क्क लोगों के एक समूह को सता्व्णजक्नक जरी्वन से बताहर कर क्दयता गयता है, लेक्कन उसके भरीतर न्यताय और समतानतता कता बोध नहीं होतता । मनतुषय और समताज को चोक्िल
करने्वताले सैकड़ों क्नंदनरीय रर्वताजों के प्रचलन करी उसे जतानकताररी है, लेक्कन ्वह उसके भरीतर घृणता कता भता्व पैदता नहीं करते हैं । देशभकत क्सफ्क अपने और अपने ्वग्ण के क्लए सत्ता कता आकतांक्षी
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