देखते हैं, क्जन्होंने पहलरी बतार मक्हलताओं को पैतृक संपत्ति में क्हस्सा क्दलताने करी पहल करी और मक्हलता समतानतता करी बतुक्नयताद रखरी । श्म कतानूनों को लतागू करताने से लेकर नदरी घतािरी परियोजनताओं करी बतुक्नयताद रखने ्वताले शखस के रूप में भरी बताबता सताहब को जतानता जतातता है । कुल क्मलकर देखता जताए तो बताबता सताहब के कार्यों और योगदतानों करी सूचरी बेहद लंबरी है । लेक्कन, इन सबको जोड़ कर बताबता सताहब करी जो समग् तस्वरीर बनतरी है, ्वह क्नससंदेह एक राष्ट्र क्नमता्णतता करी है । बताबता सताहब कता भतारतरीय राष्ट्र कैसता है? क्या ्वह राष्ट्र एक नक्शा है, क्जसके अंदर ढेर सतारे लोग हैं? क्या राष्ट्र क्कसरी झंडे कता नताम है, क्जसे कूंधे पर लेकर चलने से कोई राष्ट्र्वतादरी बन जतातता है? क्या भूगोल ने, पहाड़ और नक्दयों ने अपनरी प्रताकृक्तक सरीमताओं से घेर कर जमरीन के एक टुकड़े को राष्ट्र कता रूप दे क्दयता है? यता क्फर, क्या हम इसक्लए एक राष्ट्र हैं क्क हमतारे स्वताथ्ण और क्हत सताझता हैं?
बताबता सताहब कता राष्ट्र इन सबसे अलग है । धर्म, भताषता, नसल, भूगोल यता सताझता स्वताथ्ण को यता क्फर इन सबके समुच्चय को, बताबता सताहब
राष्ट्र नहीं मतानते । बताबता सताहब कता राष्ट्र एक आधयतासतमक क््वचतार है । ्वह एक चेतनता है । हम एक राष्ट्र हैं, कयोंक्क हम सब मतानते हैं क्क हम एक राष्ट्र हैं । इस मतायने में यह क्कसरी स्वताथ्ण यता संकरीण्ण क््वचतारों से बेहद ऊपर कता एक पक््वत् क््वचतार है । इक्तहतास के संयोगों ने हमें एक सताथ जोड़ा है, हमतारता अतरीत सताझता है, हमने ्वत्णमतान में सताझता राष्ट्र जरी्वन जरीनता तय क्कयता है और भक््वषय के हमतारे सपने सताझता हैं, और यह सब है इसक्लए हम एक राष्ट्र हैं । राष्ट्र करी यह परिकलपनता बताबता सताहब ने यूरोपरीय क््वद्वान अनवेसि रेनलॉन से लरी है, क्जनकता 1818 कता प्रक्सद्ध ्वकतवय‘ ह्वाट इज नेशन’ आज भरी सतामक्यक दस्ता्वेज है ।
संक््वधतान सभता में पूछे गए स्वतालों कता ज्वताब देने के क्लए जब बताबता सताहब 25 न्वंबर, 1949 को खड़े होते हैं, तो ्वह इस बतात को रेखतांक्कत करते हैं क्क भतारत स्वतन्त् हो चतुकता है, लेक्कन उसकता एक राष्ट्र बननता अभरी बताकरी है । बताबता सताहब कहते हैं क्क‘ भतारत एक बनतता हतुआ राष्ट्र है । अगर भतारत को एक राष्ट्र बननता है, तो सबसे पहले इस ्वतासतक््वकतता से रूबरू होनता आ्वशयक
है क्क हम सब मतानें क्क जमरीन के एक टुकड़े पर कुछ यता अनेक लोगों के सताथ रहने भर से राष्ट्र नहीं बन जतातता । राष्ट्र क्नमता्णण में वयसकतयों कता मैं से हम बन जतानता बहतुत महत्वपूर्ण होतता है I’ ्वह चेतता्वनरी भरी देते हैं क्क हजतारों जताक्तयों में बंटे भतारतरीय समताज कता एक राष्ट्र बन पतानता आसतान नहीं होगता । सतामताक्जक ए्वं आक्थ्णक जरी्वन में घनघोर असमतानतता और कड़्वताहट के रहते यह कताम मतुमक्कन नहीं है ।
अपने बहतुचक्च्णत, लेक्कन कभरी न क्दए गए, भताषण‘ एक्नक्हलेशन ऑफ कतासि’ में बताबतासताहब जताक्त को राष्ट्र क््वरोधरी बतताते हैं और इसके क््वनताश के महत्व को रेखतांक्कत करते हैं । बताबतासताहब करी संकलपनता कता राष्ट्र एक आधतुक्नक क््वचतार है । ्वह स्वतंत्तता, समतानतता और बंधतुत्व करी बतात करते हैं, लेक्कन ्वह इसे पसशचमरी क््वचतार नहीं मतानते । ्वह इन क््वचतारों को फतांसरीसरी क्रतांक्त से न लेकर, बतुद्ध करी क्शषिता यता बलौद्ध परंपरता से लेते हैं । संसदरीय प्रणताक्लयों को भरी ्वह बलौद्ध क्भषितु संघों करी परंपरता से लेते हैं ।
स्वतंत्तता और समतानतता जैसे क््वचतारों करी स्थापनता संक््वधतान में क्नयम कतानूनों के जरिए
twu 2025 31