कवर स्टोरी
जाति जनगणना: सही या गलत
क्पछले छह दशक से अक्धक समय बताद अब केंद्र में सत्तारूढ़ मोदरी सरकतार ने अगलरी राष्ट्रव्यापरी जनगणनता में जताक्त गणनता को शताक्मल क्कयता है । जताक्त गणनता कता क्नण्णय सता्व्णजक्नक होने के बताद देश में इसके सहरी और गलत होने पर क््वमर्श करी स्थिति बन चतुकरी है । बलौक्द्धक जगत से लेकर सतामतान्य जन तक को जताक्त गणनता के लताभ और हताक्न को लेकर सड़कों पर बहस करते हतुए देखता जता सकतता है । इसके उपरतांत भरी देश में सतामताक्जक असमतानतता को दूर करने के क्लए जताक्त गणनता के क्नण्णय को सहरी मतानता जता रहता है ।
इसकता कतारण यह है क्क देश के क््वक्भन्न जताक्त-आधतारित भेदभता्व और उससे जतुडरी घटनताओं के समताचतार रोजतानता समताचतार-पत्ों में देखे जता सकते हैं । ऐसे में देश में जताक्तगत गणनता
्वंक्चत समूहों करी पहचतान करने के सताथ हरी क््वक्भन्न जताक्त समूहों करी सहरी संख्या सतामने लताने में तो मदद करेगरी हरी, सताथ हरी संसताधनों कता समतान क््वतरण सतुक्नसशचत क्कयता जता सकेगता । समताक्जक और आक्थ्णक उत्थान से बंक्चत रह गए समतुदताय ए्वं समताज को क््वकतास करी मतुखयधतारता में लताने के प्रयतास में तरीव्रतता आ सकेगरी । जताक्त गणनता के आकूंड़ें नरीक्त क्नमता्णतताओं को ऐसरी नरीक्तयों के क्नमता्णण के प्रेरित करेंगे, जो प्रतयेक जताक्त-्वग्ण समूह करी क््वक्शषि आ्वशयकतताओं को पूरता करके समता्वेशरी क््वकतास को बढ़ता्वता देने में अपनरी भूक्मकता कता क्न्व्णहन कर सकेंगे ।
संक््वधतान में आरषिण जैसरी सकतारतातमक नरीक्तयों कता उद्ेशय सतामताक्जक न्यताय को बढ़ता्वता देनता है और जनसंख्या पर उक्चत आकूंड़ों के आधतार पर हरी आरषिण के प्रभता्व और प्रभता्वशरीलतता कता मूल्यांकन क्कयता जता सकतता हैं । सताथ हरी जताक्त गणनता सतामताक्जक संबंधों, आक्थ्णक अ्वसरों और रताजनरीक्तक गक्तशरीलतता
को प्रभताक््वत करने ्वताले कतारणों को भरी सतामने रखने कता कताम करेगरीI
उधर जताक्त गणनता के क््वरोक्धयों कता मताननता तर्क है क्क जताक्त-आधतारित भेदभता्व को जताक्त गणनता और बढ़ताने कता कताम करेगरी । इसक्लए जनतता को उनकरी जताक्तगत पहचतान के आधतार पर वर्गीकृत करने के स्थान पर सभरी नतागरिकों के क्लए वयसकतगत अक्धकतारों और समतान अ्वसरों पर ध्यान केंक्द्रत करने को प्रताथक्मकतता दरी जतानरी चताक्हए । एक तर्क यह भरी क्दयता जतातता है क्क भतारत में हजतारों जताक्त-उपजताक्त पताई जतातरी हैं । ऐसे में जताक्त गणनता के क्लए जताक्तयों करी सपषि परिभताषता को कैसे सतामने रखता जताएगता? इससे समताज में भ्रम, क््व्वताद और क््वभताजन करी ्वृक्द्ध करी स्थिति बनेगरी, जो सतामताक्जक क््वभताजन कता एक बड़ता कतारण बन सकतरी है ।
क््वरोध में आने ्वताले ऐसे तमताम तकयों के बताद भरी जताक्त गणनता के क्नण्णय को गलत नहीं कहता जता सकतता है । इसके क्लए यह आ्वशयक होगता
12 twu 2025