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जन्म जयंती पर विशेष

विवाह समारोह में आर. वेलायुधन, के. आर. नारायणन, उषा नारायणन, दाषिायनी एवं आंध्र प्रदेश के तकलीन राजयपाल श्री प्रकाश
शिक्षिका के रूप में काम किया ।
वेलायुधन ने सविनय अवज्ञा आंदोलनों में सवरिय भागीदारी निभा कर राजनीति में प्रवेश किया था । वह कांग्ेस की राजनीति की कड़ी के रूप में उभरीं । अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासंघ की सापतावहक पत्रिका‘ जय भीम’ में वह कांग्ेस के विरुद्ध लिखा करती थीं । वह 1946 में निकाय के लिए चुनी गईं और फिर 1945 में उनहें कोचीन विधान परिषद के लिए भी नामांकित किया गया । उनके छोटे भाई के. के. माधवन भी राजनीति में सवरिय थे और 1976 में राजयसभा के लिए चुने गए थे ।
श्ीमती दक्षयानी ने केरल के एक प्रमुख दलित नेता आर. वेलायुधन से विवाह किया । उनका विवाह महातमा गांधी और कसतूरबा गांधी की उपकसथवत में वर्धा के सेवाग्ाम में संपन् हुआ था । श्ी और श्ीमती वेलायुधन के चार बेटे और एक बेटी थी । आर. वेलायुधन जून 1950 में अनंतिम संसद के लिए भी चुने गए थे । हालांकि उनहोंने त्रावणकोर-कोचीन में लोगों के दमन के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज
श्रीमती दवषिणायनी ने केरल के एक प्रमुख दलित नेता आर. वेलायुधन से विवाह किया । उनका विवाह महातमा गांधी और कसतूरबा गांधी की उपससथवत में वर्धा के सेवाग्ाम में संपन्न हुआ था । श्री और श्रीमती वेलायुधन के चार बेटे और एक बेटी थी । आर. वेलायुधन जून 1950 में अनंतिम संसद के लिए भी चुने गए थे । हालांकि उन्होंने त्रावणकोर-कोचीन में लोगों के दमन के विरुद अपना विरोध दर्ज कराने के लिए उन्होंने कांग्ेस से इसतीफा दे दिया ।
कराने के लिए उनहोंने कांग्ेस से इसतीफा दे दिया । इस प्रकार, संसद में पत्ी और पति दो विपरीत खेमों में थे । आर. वेलायुधन ने 1952 में एक सवतंत्र उममीिवार के रूप में क्ववलयन- कम-मवेलीकारा( जी और एससी) लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की । ​ फिर उनहोंने 1952 में कोट्ायम( जी) लोकसभा क्षेत्र से पीएसपी उममीिवार के रूप में दूसरा आम चुनाव लड़ा, लेकिन असफलता मिली ।
1945 में दक्षायणी को राजय सरकार द्ारा कोचीन विधान परिषद में नामित किया गया था । बाद में उनको 1946 में परिषद द्ारा भारत की संविधान सभा के लिए चुना गया । वह संविधान सभा के लिए चुनी जाने वाली पहली और एकमात्र अनुसूचित जाति की महिला थीं । 1946-1952 तक उनहोंने संविधान सभा और भारत की अनंतिम संसद के सदसय के रूप में कार्य किया । संसद में उनहोंने शिक्षा के मामलों में विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के मामलों में विशेष रुचि ली । वह के. आर. नारायणन
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