July 2025_DA | Page 32

उत्र प्रदेश

मुस्लिम उत्ीड़न के विरुद्ध अपने घर बेचने के बोर्ड लगाए दलित परिवारयों ने

के आजमगढ़ जिले के मुकसलम बहुल छोटा पुरा में लगभग 40 दलित राजय

परिवारों ने अपने मकानों पर‘ घर बिकाऊ है’ के बोर्ड लगा दिए हैं । इन लोगों ने खुद को असुरक्षित बताया है । बार-बार हो रहे उतपीड़न, बलातकार की धमकी से सभी लोग परेशान हैं और पुलिस पर उदासीनता का आरोप लगा रहे हैं । गत 3 जून को सथानीय मुकसलम युवकों ने एक शादी समारोह के दौरान महिलाओं को परेशान किया था । इस दौरान मुकसलम और दलित समुदाय के बीच मारपीट हुई है । इससे गांव का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है ।
जानकारी के अनुसार गत 3 जून को बमहौर गांव के युवक राकेश कन्ौवजया की शादी थी । इस मौके पर दलित समुदाय की महिलाएं और लड़कियां पारंपरिक विवाह-पूर्व की रसमें निभा रही थीं । उतसव का माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब मुकसलम समुदाय के कई युवक वहां पहुंच गए और महिलाओं की सहमति के बिना उनका वीडियो बनाने लगे । इस पर आपवत् जताने पर मुकसलम युवकों ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए महिलाओं से छेड़छाड़
की । इसके बाद महिलाओं ने मदद के लिए शोर मचाया, जिससे पुरुष रिशतेिारों को बीच- बचाव करना पड़ा । इस दौरान दोनों पक्षों के बीच मारपीट शुरू हो गई, जिसमें करीब बीस लोग घायल हो गए ।
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और दस आरोपियों को आरोपितों को गिरफतार कर लिया । साथ ही घटना में घायल हुए लोगों को पुलिस ने सथानीय असपताल में भतसी कराया और मामले की जांच शुरू कर दी । गांव में रहने वाले कई दलित परिवारों ने आरोप लगाया कि गांव में रहने वाले मुकसलम समुदाय के लोग घूम- घूमकर धमकी दे रहे हैं । उनहोने दावा किया कि गत 3 जून की झड़प कोई अकेली घटना नहीं थी, बकलक उतपीड़न का सिलसिला बहुत दिनों से जारी है । दलित परिवारों का आरोप है कि कई माह से से उनहें भक्त गीत बजाने, शादियों में डीजे बजाने या सांसकृवतक उतसवों में भाग लेने पर दुवय्मवहार का सामना करना पड़ता है । इसके अलावा‘ जय श्ीराम’ के नारे लगाने और तयौहार मनाने में भी उनहें काफी
दि्कतों ता सामना करना पड़ता है ।
दलित परिवारों का कहना है कि उनके घर की महिलाएं और लड़कियां घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं । उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है और धमकी देती है । उनहोने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दलित परिवारों की सुरक्षा की पर्यापत वयवसथा नहीं की गई तो वह लोग पलायन कर जाएंगे । गांव में रहने वाले एक दलित वयक्त के अनुसार उनकी बेटियां एवं पवत्यां घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं । तयौहार खुशियों के सथान पर तनावपूर्ण हो गए हैं और जब हम शिकायत करते हैं, तो कुछ नहीं होता । एक अनय दलित वयक्त ने बताया कि वह कई बार पुलिस के पास गए और बेहतर सुरक्षा और सखत कार्रवाई का अनुरोध किया, लेकिन कुछ नहीं बदला । इसलिए हमने अपने घर बेचने का फैसला किया है । कम से कम हम कहीं और शांति से रह सकते हैं ।
मामले के समबनध में आजमगढ़ पुलिस का कहना है कि पुलिस ऐसे परिवारों से संपर्क कर उनहें सुरक्षा का आशवासन दे रही है । ऐसी रिपोर्ट देखी है कि कुछ परिवार पलायन करने की योजना बना रहे हैं । उनसे संपर्क किया जा रहा है और उनहें सुरक्षा सुवनकशचत करने का आशवासन भी दे रहे हैं । शांति बहाल करने के लिए गत 3 जून की घटना के बाद क्षेत्र में गशत बढ़ा दी गई है । पुलिस के आशवासन के बावजूद गांव के अधिकांश परिवार आशवसत नहीं दिखते । दलित परिवारों का कहना है कि पहले यह सुरक्षा कहां थी? प्रशासन को जागने के लिए सुर्खियों और विरोध प्रदर्शनों की ्या जरूरत है? फिलहाल सोशल मीडिया पर इस घटना पर लोग गुससे में दिख रहे हैं । अलपसंखयक-बहुसंखयक का मुद्ा, महिलाओं की सुरक्षा का मुद्ा उठाया जा रहा है । उधर गांव में लोगों ने अपने घरों की दीवारों पर ' घर बिकाऊ है ' के बोर्ड लगा दिए हैं । विरोध की आवाजें छोटापुरा की संकरी गलियों में गूंज रही हैं । दलित परिवार जलि से जलि फरार आरोपियों को गिरफतार करने और उनहें नयाय देने की मांग कर रहे हैं । �
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