July 2025_DA | Page 25

अपने नायकों का भी जश्न मना रहा है । तयोहारों और योग से लेकर संगीत और कला तक, भारतीय संसकृवत को अब कई देशों में देखा और सममान दिया जा रहा है । दुनिया के लोग भारत की जीवनशैली में दिलचसपी दिखा रहे हैं । आज भारत की समृद्ध संसकृवत न केवल देश में चमचमा रही है, बकलक दुनिया भर में आलोकित हो रही है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृतव में भारत की सांसकृवतक यात्रा रंगोली की तरह निखरी है: रंग-बिरंगी, परंपराओं से जुड़ी और दुनिया के लिए खुली । हमपी के कालातीत मंदिरों से लेकर शासत्रीय संगीत और नृतय की जीवंत परंपराओं तक, सरकार ने मूर्त और अमूर्त दोनों तरह की विरासत को नई ऊर्जा दी है । भूले-बिसरे नायकों को याद किया गया है और आधुनिक साधनों के माधयम से प्राचीन ज्ञान को संरक्षित किया गया है । यह सभी प्रयास मिलकर भारत की भावना को गर्व के साथ दुनिया तक पहुंचाते हैं ।
भवय काशी विशवनाथ कलॉरिडोर से लेकर अयोधया में राम लला की दिवय उपकसथवत तक, सरकार विरासत को संरक्षित कर रही है और सांसकृवतक जड़ों को गहरा कर रही है ।
आधयाकतमक सर्किट और आधुनिक तीर्थ सुविधाओं के माधयम से, भारत के सभयतागत गौरव को निर्बाध रूप से पुनजसीवित किया जा रहा है । देश के वववभन् सांसकृवतक गौरव वाले मंदिर गलियारों और तीर्थ सथलों का पुनर्विकास, चारधाम परियोजना में चारधाम अर्थात यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाले पांच मौजूदा राषट्रीय राजमागषों( एनएच) का सुधार, उत्राखंड में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना को मंजूरी, श्ावसती, कुशीनगर और कपिलवसतु में प्रमुख बौद्ध सथलों का विकास, शालिहुंडम, बाविकोंडा, बोजिनकोंडा, अमरावती और अनूपु में कनेक्टविटी और सुविधाओं को विकास, बिहार बौद्ध सर्किट का विकास, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भरूच, कचछ, भावनगर, राजकोट और मेहसाणा में बौद्ध विरासत सथलों का विकास, सांची, सतना, रीवा, मंदसौर और धार को कवर करने वाले बौद्ध सर्किट का एकीकृत विकास, करतारपुर कलॉरिडोर जैसे प्रमुख विरासत गलियारों और प्रवतकषठत सथलों को विकसित करने के अलावा, केंद्र सरकार धार्मिक विविधता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के
लिए एक समग् दृकषटकोण अपना रही है । प्रशाद( तीर्थयात्रा कायाकलप और आधयाकतमक, विरासत संवर्धन अभियान) जैसी योजनाओं के माधयम से, वववभन् धमषों के प्रमुख पूजा सथलों का कायाकलप करने का प्रयास किया गया है; जिसमें मकसजि, चर्च और तीर्थसथल शामिल हैं । यह समावेशी विकास सांसकृवतक विरासत को संरक्षित करते हुए सांप्रदायिक सद्ाव को मजबूत करता है । ऐसे तमाम कायषों ने देश के सांसकृवतक गौरव में जो वृद्धि की है, उसे भी आम जनमानस महसूस कर रहा है ।
सुरवषित भारत सिदेशीकरण पर जोर
पिछले गयारह वरषों में भारत की रक्षा यात्रा साहसिक निर्णयों, रणनीतिक दूरदर्शिता और अटूट संकलप द्ारा परिभाषित की गई है । सविेशी उतपािन को बढ़ाने और निर्यात का विसतार करने से लेकर नवाचार को अपनाने और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने तक, देश ने सच्ची आतमवनभ्मरता की दिशा में उललेखनीय प्रगति की है । इनोवेशन फलॉर डिफेंस ए्सीलेंस, रक्षा गलियारे और सकारातमक सविेशीकरण सूची जैसी पहल भविषय के लिए तैयार रक्षा तंत्र की नींव रख रही हैं । साथ ही, सीमा पार आतंकवाद और उग्वाद के विरुद्ध भारत के सखत रुख ने राषट्रीय सुरक्षा के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुकषट की है । इसका एक उदाहरण आपरेशन सिंदूर के समय पूरे विशव ने देखा है । निरंतर निवेश, नीतिगत सुधारों और बढ़ती वैकशवक उपकसथवत के साथ, भारत अब केवल अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर रहा है, बकलक यह एक मजबूत, आतमविशवासी और आतमवनभ्मर सैनय शक्त का निर्माण कर रहा है ।
पिछले गयारह वरषों में भारत के रक्षा क्षेत्र में असाधारण परिवर्तन आया है । पैमाने और महतवाकांक्षा की सीमित सीमा से कही बढ़ कर यह अब एक आतमविशवासी, आतमवनभ्मर तंत्र में बदल गया है । यह बदलाव दृढ़ राजनीतिक संकलप और रणनीतिक सोच से आया है । रणनीतिक नीतियों ने उतपािन और खरीद से
tqykbZ 2025 25