कवर स्टोरी
एक ऐसा राषट्र है जो डिजिटल, हरित, आकांक्षी और भविषय के लिए तैयार है, जो वैकशवक नेता बनने के अपने लक्य की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है ।
आदिवासी वर्ग के साथ नया भारत
भारत में दुनिया की सबसे जीवंत और विविध आदिवासी वर्ग निवास करते हैं । 10.45 करोड़ से अधिक आदिवासी नागरिकों के साथ, जो कुल जनसंखया का 8.6 प्रतिशत हैं, आदिवासी वर्ग भारत के सभयतागत ताने-बाने का अवभन् अंग रहे हैं । उनहोंने समृद्ध परंपराओं, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित किया है जो देश की सांसकृवतक पहचान को आकार देते हैं । उनका योगदान कालातीत है, रामायण और महाभारत में उनके ज्ञान, वीरता और प्रकृति के साथ गहरे संबंध को उजागर करने वाले संदर्भ हैं । कई दशकों तक अपनी समृद्ध विरासत के बावजूद, आदिवासी वर्ग को ऐतिहासिक रूप से मुखयधारा के विकास की कहानी से बाहर रखा गया है । दशकों तक, उनहें प्रगति में समान
भागीदार के बजाय संसकृवत के संरक्षक के रूप में देखा गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृतव में, प्रतीकातमकता से लक्षित सशक्तकरण की ओर एक सपषट और जानबूझकर बदलाव हुआ है । इसे केंद्रीय बजट 2025-26 ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए धन में उललेखनीय वृद्धि के साथ एक महतवपूर्ण मोड़ दिया, जो समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो वासतव में किसी को पीछे नहीं छोड़ता है । पिछले दशक में, केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के कलयाण को बढ़ावा देने के लिए वित्ीय आवंटन में उललेखनीय वृद्धि की है । जनजातीय मामलों के मंत्रालय का वार्षिक बजट तीन गुना हो गया है, यह 2013- 14 में 4,295.94 करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 14,926 करोड़ रुपए हो गया है, जो समावेशी विकास के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है ।
भारत का आदिवासी समाज हाशिये से लौटकर मुखयधारा में आ गए हैं और राषट्र की विकास यात्रा के केंद्र बन गए हैं । प्रधानमंत्री-जनमन, धरती आबा अभियान और वन धन
योजना जैसी केंद्रित योजनाओं के माधयम से मोदी सरकार ने सुवनकशचत किया है कि आदिवासी नागरिकों को अधिकार, अवसर और सममान मिले । यह परिवर्तन कलयाण से कहीं आगे बढ़कर नयाय, सशक्तकरण और समावेशन पर आधारित है । शिक्षा, सवासथय, आजीविका और संसकृवत में निवेश के साथ आदिवासी समुदाय अपना भविषय खुद बना रहे हैं । यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विशवास, सबका प्रयास का सार है- एक सच्चा जनजातीय भारत बन रहा है ।
सांस्कृतिक गौरव की ओर
पिछले गयारह वरषों में भारत ने अपनी संसकृवत की रक्षा करने और उसे दुनिया के साथ साझा करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं । प्राचीन मंदिरों का जीणवोद्धार किया गया है, पवित्र सथलों में सुधार किया गया है और पुरानी परंपराओं को फिर से जीवित किया गया है । साथ ही, नई सड़कें, साफ-सुथरी सुविधाएं और बेहतर सेवाओं ने लोगों के लिए इन सथानों पर जाना आसान बना दिया है । भारत हर क्षेत्र और पृषठभूमि के
24 tqykbZ 2025