विचार
समानता एवं सामाजिक- आर्थिक न्ाय के प्रति प्रतिबद्ध है संविधान: न्ायमूर्ति गवई
इटली कसथत मिलान में उच्चतम नयायालय के मुखय नयायधीश नयायमूर्ति बी. आर. गवई ने नयाय और समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए कहा कि नयाय को कम से कम सुविधा प्रापत लोगों के लिए वासतविक अवसरों में बदलना चाहिए । समाज के बड़े हिससे को हाशिए पर रखने वाली संरचनातमक असमानताओं को दूर किए बिना कोई भी राषट्र वासतव में प्रगतिशील या लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता । दूसरे शबिों में, सामाजिक-आर्थिक नयाय, दीर्घकालिक कसथरता, सामाजिक सामंजसय और सतत विकास प्रापत करने के लिए एक वयावहारिक आवशयकता है ।
उनहोंने कहा कि शिक्षा में सकारातमक
कार्रवाई की नीतियां, जिनका उद्ेशय ऐतिहासिक अनयाय को दूर करना तथा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वगषों का प्रतिनिधितव सुवनकशचत करना है, संविधान की समानता और सामाजिक-आर्थिक नयाय के प्रति प्रतिबद्धता की ठोस अभिवयक्त हैं । शिक्षा में सकारातमक कार्रवाई की नीतियां, जिनका उद्ेशय ऐतिहासिक अनयाय को दूर करना तथा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वगषों का प्रतिनिधितव सुवनकशचत करना है, संविधान की समानता और सामाजिक-आर्थिक नयाय के प्रति प्रतिबद्धता की ठोस अभिवयक्त हैं ।
गत 18 जून को आयोजित एक समारोह में
मुखय नयायाधीश गवई ने कहा कि नयाय कोई अमूर्त आदर्श नहीं है और इसे सामाजिक संरचनाओं, अवसरों के वितरण और लोगों के रहने की कसथवतयों में जड़ें जमानी चाहिए । समारोह का आयोजन चैंबर ऑफ इंटरनेशनल ललॉयर्स द्ारा किया गया, जिसमें यूरोपीय नयायाधीशों, कानूनी पेशेवरों और शिक्षाविदों ने हिससा लिया ।
उनहोंने कहा कि सामाजिक-आर्थिक नयाय प्रदान करने में पिछले 75 वरषों में भारतीय संविधान की यात्रा महान महतवाकांक्षा और महतवपूर्ण सफलताओं की कहानी है । भूमि और कृषि सुधारों ने सामंती संरचनाओं को धवसत करने, जड़ जमाए पदानुरिमों की जकड़न को तोड़ने और भूमि एवं आजीविका तक पहुंच को पुनर्वितरित करने में महतवपूर्ण भूमिका निभाई है । अनगिनत भूमिहीन और हाशिए पर पड़े वयक्तयों, विशेष रूप से उतपीवड़त जातियों और समुदायों के लिए, यह सुधार आर्थिक सवतंत्रता और सममान हासिल करने का पहला वासतविक अवसर प्रसतुत करते हैं ।
उनहोंने कहा कि समावेश और परिवर्तन के इस संवैधानिक दृकषटकोण के कारण ही वह भारत के मुखय नयायाधीश के रूप में आपके सामने खड़े हैं । ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़ी पृषठभूमि से आने के कारण, वह उनहीं संवैधानिक आिशषों की उपज हैं, जो अवसरों को लोकतांत्रिक बनाने और जाति और बहिषकार की बाधाओं को खतम करने की मांग करते हैं । संविधान ने हमें दृकषट, साधन और नैतिक
16 tqykbZ 2025