July 2025_DA | Page 14

विमर्श

वयवधान से ्यों तबाह किया जाता है?
उनहोंने कहा कि उस फैसले में एक अनय प्रसिद्ध नयायाधीश, नयायमूर्ति सीकरी कहते हैं कि हमारे संविधान की प्रसतावना अतयंत महतवपूर्ण है, और संविधान को प्रसतावना में वय्त भवय और महान दृकषट के प्रकाश में पढ़ा और वयाखया किया जाना चाहिए । लेकिन भवय और महान दृकषट को रौंदा गया । डा. आंबेडकर की भावना को भी रौंदा गया । इस प्रकार, बिना किसी हिचकिचाहट के, प्रसतावना- डा. आंबेडकर की प्रतिभा द्ारा तैयार की गई और संविधान सभा द्ारा अनुमोदित, संविधान की आतमा का सममान किया जाना चाहिए था, न कि उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना चाहिए, परिवर्तित किया जाना चाहिए और नषट किया जाना चाहिए । यह परिवर्तन हजारों वरषों के हमारे सभयतागत लोकाचार के भी विरुद्ध है, जहां सनातन दर्शन- इसकी आतमा और सार-चर्चा पर हावी हो गया ।
उनहोंने कहा कि नयायपालिका हमारे लोकतंत्र का एक महतवपूर्ण सतंभ है । मैं उस वयवसथा से जुड़ा हुआ हूँ, और मैंने अपने जीवन का एक
डा. आंबेडकर के ज्ानपूर्ण शबदों को याद करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि डा. आंबेडकर एक दूरदशशी थे । वह एक राजनेता थे । हमें डा. आंबेडकर को कभी भी एक राजनेता के रूप में नहीं देखना चाहिए । यदि आप उनकी यात्रा से गुजरेंगे, तो आप पाएंगे कि इसे सामान्य रूप से दूर नहीं किया जा सकता है ।
बड़ा हिससा इसी के लिए दिया है । मैं इस श्ोतागण और आपके माधयम से पूरे देश को बताना चाहता हूँ कि नयायपालिका भारतीय संविधान की प्रसतावना के बारे में ्या सोचती है । अब तक उच्चतर सतर पर सववोच्च नयायालय की दो पीठें बनी हैं, एक आई. सी. गोलकनाथ
बनाम पंजाब राजय मामले में 11 नयायाधीशों की पीठ और दूसरी केशवानंद भारती मामले में 13 नयायाधीशों की पीठ । गोलकनाथ मामले में प्रसतावना के बारे में मुद्ा उठा और नयायमूर्ति हिदायतुललाह ने कसथवत पर विचार करते हुए सपषट रूप से कहा कि हमारे संविधान की प्रसतावना में इसके आदर्श और आकांक्षाएं संक्षेप में समाहित हैं । यह केवल शबिों का खेल नहीं है, बकलक इसमें वे उद्ेशय समाहित हैं जिनहें संविधान प्रापत करना चाहता है ।
उनहोंने कहा कि मैं उसी फैसले में नयायमूर्ति हेगड़े और नयायमूर्ति मुखजसी को उद्धृत करता हूं कि संविधान की प्रसतावना, संविधान की आतमा की तरह, अपरिवर्तनीय है । ्योंकि यह मूलभूत मूलयों और दर्शन को मूर्त रूप देती है, जिस पर संविधान आधारित है । यह उस इमारत के लिए भूकंप से कम नहीं है, जिसकी नींव को शीर्ष मंजिल से बदलने की कोशिश की जा रही है । नयायमूर्ति शेलत और नयायमूर्ति ग्ोवरने प्रसतावना पर कहा कि संविधान की प्रसतावना महज प्रसतावना या परिचय नहीं है । यह संविधान का एक हिससा है और निर्माताओं के दिमाग को
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