July 2025_DA | Page 11

ने मुखय अतिथि के रूप में हिससा लिया, जबकि पत्रकार राम बहादुर राय और विचारक के. एन. गोविंदाचार्य भी उपकसथत थे । श्ी गोविंदाचार्य ने जयप्रकाश नारायण द्ारा 1975 में आपातकाल लागू करने के लिए चलाए गए आंदोलन में सवरिय रूप से भाग लिया था ।
1976 में 42वें संविधान संशोधन के माधयम से संविधान की प्रसतावना में ' समाजवादी ' और ' धर्मनिरपेक्ष ' शबि शामिल किए जाने के मसले पर सरकार्यवाह होसबोले ने कहा कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शबि प्रसतावना में जोड़े गए थे । बाद में उनहें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया । इसलिए, इस पर चर्चा होनी चाहिए कि उनहें रहना चाहिए या नहीं । वह यह बात बाबासाहब आंबेडकर के नाम पर बने एक भवन( आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर) में कह
रहे हैं, जिसके संविधान की प्रसतावना में यह शबि नहीं थे ।
उनहोंने कहा कि यह आवशयक है कि 25
जून और 26 जून की तिथि आपातकाल के 21 माह के दौरान जेलों में बंद लोगों के बीच ' चर्चा का पुराना ्लब ' न रहें, बकलक ' युवाओं के बीच उस अवधि के बारे में जानकारी फैलाने का अवसर बनें, ताकि देश में आपातकाल की मानसिकता कभी वापस न आए । उनहोंने संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्ाथसी परिषद( अभाविप) से आपातकाल के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विशवविद्ालयों में अधययन मंडल आयोजित करने का आह्ान किया ।
सरकार्यवाह होसबोले ने कहा कि आपातकाल की अवधि के दौरान हजारों लोगों को जेल में डाला गया और प्रतावड़त किया गया, जबकि नयायपालिका और मीडिया की सवतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया । 26 जून 1975
की सुबह अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृषण आडवाणी को बेंगलुरु में एमएलए गेसट हाउस के बाहर गिरफतार किया गया था, जहां उनहें
संसदीय समिति की बैठक के लिए रखा गया था । आडवाणी जी ने कहा कि वह समाचार एजेंसियों को बयान देने के लिए बुलाना चाहते हैं और अटल जी ने उनसे पूछा कि कौन इसे प्रकाशित करने के लिए तैयार होगा? उनहोंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृषण आडवाणी, जलॉज्म फनाांडिस और विपक्षी दलों के अनय नेताओं सहित आपातकाल का विरोध करने वाले सभी लोगों को जेल में डाल दिया गया था । संघ को भी निशाना बनाया गया और बड़ी संखया में इससे जुड़े लोगों को गिरफतार किया गया तथा उनहें यातनाएं दी गईं । भारत के लोगों ने उस कठिन समय में लोकतंत्र के रूप में अपनी परिप्वता साबित की ।
काय्मरिम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि जब वह अपने मामा के लिए पैरोल हासिल करने गए थे ताकि वह अपने नाना का अंतिम संसकार कर सकें, तो उनहें पूरी रात पुलिस सटेशन के बाहर इंतजार करना पड़ा । उनहोंने जोर देकर कहा कि आपातकाल की कहानी युवाओं को फिर से बताई जानी चाहिए ताकि इसे भुलाया न जाए । केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पचास वर्ष पहले इंदिरा गांधी सरकार द्ारा आपातकाल लगाए जाने को लेकर कांग्ेस की आलोचना करते हुए कहा कि ततकालीन कांग्ेस सरकार द्ारा आपातकाल के 21 महीनों के दौरान किए गए अतयाचारों को कभी नहीं भुलाया जा सकता । अपनी ' कुससी ' बचाने और लोगों की आवाज दबाने के लिए ततकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को संविधान की भावना को कुचलते हुए आपातकाल लगाने की घोषणा की थी । आपातकाल के दौरान संविधान में कई संशोधन किए गए और संविधान की धवजियां उड़ा दी गईं । उनहोंने कहा कि कांग्ेस नेताओं ने हमारे खिलाफ अभियान चलाया( आरोप लगाते हुए) कि हम संविधान बदल देंगे । हमने न तो कभी संविधान बदलने की बात की और न ही ऐसा करने की हमारी कोई इचछा थी । अगर किसी ने संविधान का उललंघन करने का सबसे बड़ा पाप किया है, तो वह इंदिरा गांधी के नेतृतव वाली कांग्ेस है । �
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