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आपातकाल की 50वीं बरसी

डा. आंबेडकर के संविधान में नहीं थे ' समाजवादी एवं धर्मनिरपेषि ' शब्द: दत्ात्रेय होसबोले

आपातकाल के लिए सार्वजनिक मांफी मांगे कांग्ेस

सवयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्ात्रेय होसबोले ने कांग्ेस से राषट्रीय

आपातकाल लगाने के लिए देश से सार्वजनिक माफी मांगने को मांग की है । साथ ही उनहोंने इस बात पर भी विचार करने के लिए कहा है कि ्या आपातकाल के दिनों में संविधान की प्रसतावना में शामिल किए गए शबि ' समाजवादी ' और ' धर्मनिरपेक्ष ' को जारी रहना चाहिए? उनहोंने कहा कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शबि आपातकाल के दौरान शामिल किए गए थे और यह कभी भी उस संविधान का हिससा नहीं थे, जिसे डा. बी. आर. आंबेडकर ने तैयार किया था । इन शबिों को प्रसतावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए । उनहोंने कहा, प्रसतावना शाशवत है । ्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाशवत हैं?
राजधानी दिलली में गत 26 जून को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक काय्मरिम में इंदिरा गांधी राषट्रीय कला केंद्र( आईजीएनसीए) ट्रसट के अधयक्ष राम बहादुर राय द्ारा आपातकाल पर लिखी पुसतक का विमोचन करने के बाद सरकार्यवाह दत्ात्रेय होसबोले ने कहा कि जिनहोंने यह
( आपातकाल लगाया) किया, वह संविधान को हाथ में लेकर घूम रहे हैं । उनहोंने इसके लिए देश से माफी नहीं मांगी है । उनहें इसके
लिए माफी मांगनी चाहिए । अगर आपके पूर्वजों ने ऐसा किया है, तो उनकी ओर से माफी मांगिए । काय्मरिम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
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