वजह से वह देश के सबसे बड़े सूबे उत्ि प्रदेश की चार बार मुखयमंत्ी भी बनीं । लेकिन उसके बाद बसपा का जनाधार लगातार सिकुड़ता गया और हालत यह हो गई कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वह महज़ एक ही सीट जीत पाई । अब बसपा प्रतयालशयों में दिलली तो ्या लखनऊ जाने की ताक़त भी नहीं दिख रही है ।
पतन के कारण
बसपा के पतन की सबसे बड़ा कारण सवयं बहन मायावती को माना जा सकता है । मायावती ने दलित मतदाताओं का अपनी बपौती मान लिया था । काम करने की सामंती शैली , नेताओं का अपमान आम बात रही और उन पर मनमाने फैसले लेने के आरोप भी लगते रहे हैं । लोकसभा
चुनाव से पहले अपने भतीजे और राजनीतिक उत्िाधिकारी आकाश आनंद को पाटजी के प्रमुख पदों से हटाने और फिर लोकसभा चुनाव के बाद वापस लाने का फैसला इसका हालिया सबूत है । एक आरोप पिछले कई चुनावों से लगाया जा रहा है कि मायावती अब मन लगाकर चुनाव लड़ ही नहीं रहीं और भाजपा की बी टीम के रूप में काम
कर रही हैं । ऐसे आरोप तब मजबूत हुए , जब आकाश आनंद को हटाया गया । विरोधियों का कहना है कि आकाश आनंद के सुर भाजपा के विरोध में जयादा सखत थे , इसलिए उनहें हटाया गया । यह भी सही है कि आकाश के भार्ण सुर्खियां बटोर रहे थे और सोशल मीडिया पर आकाश आनंद वायरल भी हो रहे थे ।
इसके पहले बसपा पर यही आरोप उत्ि
प्रदेश के निकाय चुनावों को लेकर भी लगे थे । राजय के 17 नगर निगमों के महापौर के चुनाव में बसपा ने सभी सीटों पर उममीदवार उतारे , जिनमें 11 मुकसलम थे । सभी 17 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई , सपा और बसपा का सफ़ाया हो गया । हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव में पूरे उत्ि प्रदेश में बसपा कोई विशेर् लाभ भाजपा को नहीं पहुंचा पाई , लेकिन गोरखपुर के आसपास पूवाांचल की कई सीटों जहां भाजपा प्रतयाशी जीते हैं , वहां बसपा उममीदवारों ने अचछे वोट हासिल किए हैं ।
2007 में उत्ि प्रदेश विधानसभा का चुनाव अपने दम पर जीतने के बाद मायावती ने कभी उस लशद्त से चुनाव लड़ा ही नहीं , जिसके लिए बहुजन समाज पाटजी जानी जाती थी । 2009 का लोकसभा चुनाव वह आखिरी चुनाव था , जिसमें मायावती ने जोर लगाया था । तब वह प्रदेश की मुखयमंत्ी थीं । 2009 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने कुल 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उनका वोट प्रतिशत भी 27 प्रतिशत से अधिक था , लेकिन 2014 के चुनाव में मायावती का अकेला चुनाव लड़ने का फैसला भारी पड़ा । 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती का वोट प्रतिशत घटकर 20 प्रतिशत के नीचे आ गया । साल 2019 के चुनाव में मायावती को समाजवादी पाटजी और राषट्रीय लोकदल के गठबंधन का फायदा मिला । उस चुनाव में आखिरी बार मायावती को लोकसभा की कुल 10 सीटें मिली थीं । हालांकि वोट प्रतिशत में तब भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला था और कुल वोट 20 प्रतिशत के नीचे ही था , लेकिन अब 2024 में मायावती ने अपनी बची-खुची जमीन भी खो दी है । अब न उनके पास वोट बचा है और न ही सीट ।
चुनाव की घोर्णा से पहले तक यह लग भी नहीं रहा था मायावती की पाटजी चुनाव लड़ेगी , ्योंकि उनकी सक्रियता बिलकुल भी नहीं थी । चुनाव की घोर्णा होने और आचार संहिता लगने के बाद मायावती ने एक-एक करके प्रतयालशयों के नाम का ऐलान करना शुरू किया तो लगा कि मायावती थोड़ी-बहुत सक्रियता दिखा रही
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