July 2024_DA | Page 36

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क्ा होगा बसपा का भविष्य ?

अमित कुमार yks

कसभा चुनाव नतीजे आने के बाद जिस पाटजी के अकसततव तक पर सवाल उठने लगे हैं , वह है कांशीराम के सपनों से सींची गई और बहन मायावती के नेतृतव में आगे बढ़ी बहुजन समाज पाटजी । पाटजी इस चुनाव में शूनय मिला है । उसके पास नेता नहीं बचे हैं और वोटर भी छिटक गया है । उधर आजाद समाज पाटजी के चंद्रशेखर आजाद जैसे युवा आक्रामक दलित नेता तगड़ी चुनौती दे रहे हैं । ऐसे में तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं , ्या अब मायावती और उनके साथ ही बसपा की राजनीति का अंत हो गया है ? या मायावती के युवा भतीजे आकाश आनंद अब पाटजी में कोई प्राण फूंक पाएंगे ? अब बहुजन राजनीति का ्या होगा , जिसके लिए कांशीराम जैसे नेता ने अपना पूरा जीवन होम कर दिया और जिसने यूपी सहित देश के कई इलाकों के दलित समुदाय में एक नई चेतना , नई उममीद का संचार किया था ? ्या अब दलित राजनीति का नेतृतव चंद्रशेखर करेंगे ? आखिर ्या होगा मायावती का भविषय ?
बसपा का अब तक का सबसे खराब प्दर्शन
अबकी बार लोकसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्ि प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर अपने उममीदवार उतारे थे । लेकिन पाटजी का खाता भी नहीं खुला । यही नहीं , बसपा का उममीदवार किसी भी सीट पर दूसरे नंबर पर भी नजर नहीं आया । बसपा को इस चुनाव में लगभग 9 । 39 फीसदी वोट मिले हैं , जो बसपा
के गठन से अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है । बसपा ने जब 1989 में अपना पहला चुनाव लड़ा था , तब भी बसपा को 9 । 90 फीसदी वोट मिले थे और उसने लोकसभा की कुल दो सीटों पर जीत दर्ज की थी । 35 साल बाद ऐसा हुआ है कि लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुला । बसपा अपने पहले चुनाव के वोट प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच सकी । बसपा को
कुल एक करोड़ वोट भी नहीं मिले ।
नए सामाजिक समीकरण साधते हुए उत्ि प्रदेश के 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी जो पूरे पांच साल चली । मायावती ने दलित वोटों को तो एकजुट किया ही , ब्राह्मण जैसी सवर्ण जातियों के साथ सोशल इंजीनियरिंग कर अपना जनाधार काफी बढ़ा लिया । इसी
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